आजाद भारत की दूसरी दांडी यात्रा से घबराई सरकार, ना यात्रा निकालने दे रही है ना समस्या सुन रही है
12 मार्च 1930 को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा निकाली गई ऐतिहासिक दांडी यात्रा ने अंग्रेज हुकूमत को हिला कर रख दिया था। 78 साथियों के साथ शुरू की गई इस यात्रा को अँग्रेजो ने काफी हल्के में लिया लेकिन 24 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा का इतना सकारात्मक प्रभाव पड़ा कि अंग्रेज सरकार घुटने पर आ गई। दांडी यात्रा जैसी कई ऐतिहासिक घटनाओं के चलते आख़िरकार हमारे देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिल ही गई और उसी के साथ सम्पूर्ण देश में गांधी वादी विचारधारा का भी तेज गति से प्रसार हुआ।
आजाद भारत में इसकी आवश्यकता क्यों हुई?
स्वतंत्र भारत में, राजस्थान जैसी वीरों की भूमि पर, यहां के संविदा कर्मियों को अपनी मांगों को पूरा करवाने को लेकर दांडी यात्रा निकालना कितना सोचनीय है वह भी उस कॉंग्रेस सरकार के सामने, जिसने स्वंय एक ज़माने में अपने हक के लिए दांडी यात्रा जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए थे। आज उसी सरकार के सामने, उसी राज्य के निवासी अपनी माँगों को लेकर दांडी यात्रा निकालने के लिए मजबूर है।
दांडी यात्रा के ध्वजवाहक शमशेर भालू – आधुनिक भारत की इस यात्रा के ध्वजवाहक चूरू जिले के एक उर्दू शिक्षक शमशेर भालू है जो गत वर्ष भी गांधी जयंती पर सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए दांडी यात्रा शुरू कर चुके थे लेकिन ऐतिहासिक स्थल दांडी (गुजरात) पहुँचने से पूर्व ही राजस्थान सरकार ने उनकी मांगे 30 सितंबर 2021 तक पूरी करने का आश्वासन देकर यात्रा को रुकवा दिया था जो सितंबर 2021 के गुजरने पर एक झूठा आश्वासन साबित हुआ।
दांडी यात्रा 2021 – अक्टूबर 2020 मे इस यात्रा को बीच में ही रोकना पड़ा था लेकिन जिस आश्वासन पर यह यात्रा रोकी थी वह पूरा नहीं करने पर शमशेर खान भालू के नेतृत्व में एक बार फिर से 2 अक्टूबर 2021 से दांडी यात्रा शुरू की गई थी जिससे घबरा कर सरकार ने 6 दिनों में ही डूंगरपुर जिले के नजदीक गुजरात बॉर्डर पर ही यात्रा को प्रशासनिक दबाव बनवा कर रुकवा दिया और एक बार फिर से वार्ता के लिए आमन्त्रित किया लेकिन इतने दिन गुजरने के बाद भी मुख्यमंत्री गहलोत, शमशेर गांधी की टीम से नहीं मिल रहे हैं। गौरतलब है कि शमशेर खान भालू, राज्य के विभिन्न संविदा कर्मियों उर्दू भाषा एंव मदरसा शिक्षकों की माँगों को पूरा करवाने के लिए राजस्थान सरकार से विरुद्ध यात्रा कर रहे हैं।
अब आगे क्या ?
लगातार दो बार की दांडी यात्रा स्थगित होने पर शमशेर खान भालू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 15 अक्टूबर से जयपुर के शहीद स्मारक पर शांतिपूर्वक गांधीवादी तरीके से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का आह्वान किया है।
12 thoughts on “आजाद भारत की दूसरी दांडी यात्रा से घबराई सरकार, ना यात्रा निकालने दे रही है ना समस्या सुन रही है”
Comments are closed.