दशहरा (कविता- रश्मि नामदेव)

Sufi Ki Kalam Se

आओ पर्व मनाए दशहरे का,
अधर्म पर धर्म की विजय का,
बुराई पर अच्छाई की जीत का,

आओ दशानन के साथ,
इन बुराइयों का दहन कर आए,
इस समाज में व्याप्त कुरीतियों का ,नाश कर आए,

दहन हो समाज से अशिक्षा और अज्ञान का,

दहन हो छल, कपट, पाखंड का,
दहन हो भेदभाव ,जातिवाद का,
दहन हो लालच, भ्रष्टाचार का,
दहन हो अनीति और अन्याय का,
दहन हो गरीबी और अत्याचार का,
दहन हो समाज में व्याप्त नशे और बुराइयों का,

आओ मिलकर इस दशहरे पर अपनी बुराइयों का दहन कर आए,

समाज में व्याप्त इन कुरीतियों का नाश कर आए,

लेखिका- रश्मि नामदेव
शारीरिक शिक्षिका एवं सेल्फ डिफेंस मास्टर ट्रेनर जिला कोटा, राजस्थान


Sufi Ki Kalam Se

One thought on “दशहरा (कविता- रश्मि नामदेव)

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