गेस्ट पॉएट रईस अहमद मागंरोल
परवाह नही उसे कुछ अपने हाल की
उसको महज तलब है दुनियाओं माल की
उसको ये फिक्र है बस दुनियां कमाऊ मै
दिल में नहीं है चाहत रब से विसाल की
भूला है रब को अपने दुनिया की चाहतो में
कुछ फिक्र है न अपनी न अहलो अयाल की
है माल से मोहब्बत, पर रब से नहीं ज़रा
देखी नहीं है सूरत इसने उसके जलाल की
या रब दुआ है ये तुझसे रईस की
हो दिल में इसके चाहत तेरे जमाल की
– रईस अहमद
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