कोरोना नहीं डर है असल दुश्मन
आज पूरे देश में एक ही शब्द रात और दिन सुनाई पड़ता है ….कोरोना ….कोरोना….और कोरोना । ये अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है । मानव सभ्यता के लिए बड़ा विनाशकारी साबित हुआ है ये कोरोना । लेकिन मौत के इस सन्नाटे के बीच, कोरोना की भयावहता के बीच, एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिस पर गौर किया जाना ज़रूरी है और वो ये है कि इस में कोई शक नहीं कि कोरोना एक खतरनाक बीमारी है लेकिन कोरोना के साथ जब दहशत शामिल हो जाती है तो ये ज़्यादा जानलेवा हो जाता है । ये एक LETHAL COMBINATION बन जाता है ।
आज मुल्क में लोग कोरोना की बजाय इसकी दहशत से ज़्यादा दम तोड़ रहे हैं । आप अगर आंकड़ों को बगौर देखेंगे तो पायेंगे जहां रोजाना लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं वहीं लाखों लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं । मरने वालों का आंकड़ा अगर देखें तो वो स्वस्थ होने वाले व्यक्तियों की तुलना में बहुत कम है । इसलिए मैं कह रहा हूँ कि दरअसल कोरोना इतना घातक नहीं है जितना कोरोना और दहशत का सम्मिश्रण ।
आपने ऎसी कई घटनाएँ पढी होंगीं जिनमें कई व्यक्तियों ने संक्रमित पाये जाने पर और कई लोगों ने तो संक्रमित ना होने की स्थिति में भी दहशत और डर की वजह से आत्महत्या कर ली । अब आप सोचिये हमारे देश में दहशत का क्या आलम है । ये दहशत ही है जो आज ऐसे ऐसे मंज़र दिखा रही है कि जिसकी कल्पना भी हमने पहले कभी नहीं की थी । आज परिवार के ही लोग अपने ही परिवार के किसी सदस्य की कोरोना से मौत हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार तक करने से कतरा रहे हैं । क्या हमने इसकी कभी कल्पना की थी ? इससे ज़्यादा डर और दहशत का आलम क्या हो सकता है कि आप अपने प्रिय को अपने ही खून को यूं नज़र अंदाज़ कर दें और इतना नज़र अंदाज़ कर दें कि उसके अंतिम संस्कार से ही कन्नी काटने लगें ?
अब यहाँ सवाल ये उठता है कि आख़िर इस डर और दहशत का ज़िम्मेदार कौन है ? इसके सबसे बड़े ज़िम्मेदार हैं हमारे न्यूज़ चैनल्स ! जी हाँ ! आप कभी भी, कोई भी न्यूज़ चैनल खोल लीजिये, आपको हर न्यूज़ एंकर स्क्रीन पर चीख चीख कर कोरोना की भयावहता की क्रूर से क्रूरतम ख़बर पढ़ते हुए और विचलित कर देने वाली तस्वीरें दिखाते हुए ही नज़र आयेगा । हर एंकर सुबह शाम, रात दिन कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों के आंकड़ों और मरने वालों की तादाद के साथ आपको डराने के लिए तैयार रहता है । हर न्यूज़ चैनल पर आपको लाशों से भरे कब्रिस्तान, जलती बुझती चिताएं, चीखते चिल्लाते मरीज़, चरमराती अस्पताल की व्यवस्थायें और आक्सीजन की कमी से दम तोड़ते लोग बस यही सब कुछ दिखाया जाता है तो ऐसे में आप भला डरेंगें नहीं तो क्या करेंगे ? यही भयावह दृश्य 24 घंटे दिखाए जाते हैं । हर दिन न्यूज़ एंकर नए संक्रमित होने वाले लाखों लोगों के आंकड़े बताता है और चीख चीख कर मरने वाले लोगों की तादाद का ऐलान करता है । जब 24 घंटे, बार बार आप सिर्फ़ बिलखते, सिसकते लोगों की तस्वीरें और धधकते हुए शमशान देखेंगे तो क्या आपके अंतर्मन में डर और दहशत गहरी पैठ नहीं जमा लेंगें ।
आप टीवी को बेशक बंद करके इस समस्या से निजात पा सकते हैं मगर मोबाइल का क्या करेंगे । हर 10 सैकेंड के बाद अपने मोबाइल का स्टेटस चैक करने वाले हम लोग मोबाइल से कैसे बचेंगे ? फेसबुक, व्हाट्स एप, ट्विटर कुछ भी खोलिए आपको यहाँ भी कोरोना कोरोना मिलेगा । यहाँ भी यही ट्रेंड कर रहा है । हालांकि यहाँ कुछ पॉजिटिव चीजें भी हैं लेकिन उनकी तादाद कम है । आप इसे भी बंद कर दीजिये अखबार उठा लीजिये । हर अखबार के पहले पेज पर बड़े बड़े अक्षरों में कोरोना के संक्रमितों की तादाद और मरने वालों के आंकड़े ही लिखे मिलेंगे । आगे बढ़ेंगे तो शोक सन्देश से भरा पेज मिलेगा जो दुनिया से रुखसत हो चुके लोगों की तस्वीरों और शोक संदेशों से भरा मिलेगा । अब आप खुद सोचिये ऐसे में ना चाहते हुए भी क्या आपके दिल में एक डर, खौफ़ और दहशत की लहर नहीं उठेगी ?
क्या आपको अब भी नहीं लगता कि ये टीवी, मोबाइल और अखबार के ज़रिये आपको और हमें लगातार डराया नहीं जा रहा है ? महज़ टीआरपी की खातिर । महज़ इसलिए कि सनसनी टीआरपी लाती है ……………
और टीआरपी पैसा ………………
क्या आप भूल गए अब तक चलने वाली हिन्दू मुस्लिम बहसें ! इन मीडिया हाउसेज़ को ना देश की एकता और अखण्डता की चिंता है और ना आपकी और मेरी जान की । इनका एक ही लक्ष्य है सनसनी पैदा करके पैसा कमाना । खैर छोड़िये इस बात को इसमें नया कुछ नहीं है । असल बात ये है कि अब हमें क्या करना है ? हालांकि करना तो इन लोगों को भी चाहिए था । इन्हें चाहिये था कि रोजाना संक्रमण से मुक्त होने वाले लाखों लोगों के आंकड़ों को प्रमुखता से दिखाते, कोरोना से मरने वालों के आंकड़े चीख चीख कर बताने की बजाय कोरोना से जंग जीतने वाले लोगों को टीवी पर लाते, उनका इंटरव्यू करते, लोगों को दिखाते और बताते कि देखिये कोरोना से जीता जा सकता है । डरिये नहीं, दहशत मत खाइए … बेशक एहतियात कीजिए । मगर अफ़सोस ऐसा है नहीं ……. तो अब आपको क्या करना चाहिए ……………क्यूंकि अब यही एक रास्ता है कि आप कुछ करें ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सके । हम कुछ काम कर सकते हैं जैसे –
• सबसे पहले तो ये डराने और दहशत पैदा करने वाले न्यूज़ चैनल देखना बिलकुल बंद कर दें । ये संक्रमितों और मरने वालों के आंकड़े आपको और हमें कुछ फ़ायदा देने वाले नहीं हैं ।
• अखबार और सोशल मीडिया से भी एक हद तक या तो दूरी बना लीजिये या फिर संभल कर इनका इस्तेमाल कीजिए।
• अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताइए बिलकुल वैसे ही जैसे टीवी और मोबाइल के आने से पहले गुज़ारा करते थे ।
• अच्छी किताबें पढ़िए ।
• एहतियात ज़रूर कीजिए । बेवजह और बार बार घर से बाहर ना जाइए ।
• यदि घर का कोई सदस्य संक्रमित हो जाए तो उसे आइसोलेट किया जाना ज़रूरी है लेकिन इस प्रक्रिया में ये ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि ये आइसोलेशन महज़ शारीरिक दूरी मात्र के रूप में होना चाहिए भावनात्मक रूप से ऐसे समय में आपको मरीज़ के ज्यादा करीब हो जाना चाहिए ताकि उस बीमार व्यक्ति का मनोबल उंचा बना रहे । याद रखें ज़रा सी भी निगेटिविटी मरीज़ के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकती है ।
• आप खुद संक्रमित हो जाएँ तो घबराएं नहीं हौसला रखें । शुरुआती स्टेज में ही अगर आप इलाज शुरू कर देंगे और एहतियात रखेंगे तो शुरुआती पांच दिन यानि पहली स्टेज में ही आप कोरोना से छुटकारा हासिल कर लेंगे । लाखों लोग इसी स्टेज में रोजाना ठीक हो रहे हैं । अगर ऐसा ना भी हो और आपका संक्रमण किसी कारणवश बढ़ जाए तो भी घबराएं नहीं । काबिल डॉक्टर से संपर्क में रहें । झोलाछाप डॉक्टर और व्हाटसएप यूनिवर्सिटी से दूर रहें ।
• मैं आपको बता दूँ रोजाना लाखों संक्रमित लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं । लेकिन अगर आपने लापरवाही की या आप घबरा गए, दहशत में आ गए और आपने अपना आत्मविश्वास ज़रा भी कम किया तो याद रखें इसके परिणाम विपरीत हो सकते हैं । इस बीमारी को दूसरी बीमारीयों की तरह ही लीजिये । याद रखिये डर और दहशत ही लोगों की जान ले रहे हैं ।
• बहुत से लोग फेंफडों के संक्रमण से नहीं मर रहे हैं बल्कि दहशत में हार्ट अटैक का शिकार हो रहे है । हालांकि ये भी सच है कि नए कोरोना के वैरिएंट के साथ ये नया बदलाव आया है कि संक्रमित व्यक्ति का खून गाढा होने लगता है जिससे रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का जमने का खतरा बना रहता है जो हार्ट अटैक की वजह बन सकता है लेकिन याद रखें आपके डॉक्टर समझदार हैं और अपडेट भी इसीलिए वो आपके उपचार के दौरान इस समस्या को भी दृष्टिगत रखते हैं । मेरे साथ भी ऐसा ही है । मुझे भी खून का थक्का बन्ने से रोकने वाली दवा एहतियात के तौर पर दी गई है । मैं भी हाल ही मैं ख़ुदा के फ़ज़ल से कोरोना से जंग जीता हूँ । मैं ने डॉक्टर को दिखाने में देर की लिहाजा तीसरी स्टेज में दाखिल हुआ, मेरा आक्सीजन सैचुरेशन कम हो चुका था, मैं बोल भी नहीं सकता था, सांस लेने में दिक्क़त शुरू हो गई थी लेकिन मैं ख़ुदा का शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मेरे दिल मैं कभी डर और दहशत या किसी नेगेटिविटी को आने ही नहीं दिया एक पल के लिए भी नहीं । मुझे उसकी ज़ात पर पूरा भरोसा था। मेरा सीटी स्कोर हाई था लेकिन मुझे यक़ीन था कि मैं वापसी करूंगा क्यूंकि मुझे अभी बहुत से काम करने हैं । और मेरा ये यक़ीन सच साबित हुआ । मैं लौट आया । (यहाँ मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलूंगा जिन्होंने मेरे लिए रात दिन दुआएं कीं साथ ही मेरे डॉक्टर और मेरे दो पड़ौसी नौजवान सरफ़राज़ और नौशाद जिन्होंने घर पर ही मेरा ट्रीटमेंट शुरू किया और मेरे भाई के दोस्त गय्यूर जो दिन भर की मशक्क़त के बाद मेरे लिए आख़िर आक्सीजन सिलेंडर लाने में कामयाब हुए)
• मैं पिछले एक डेढ़ साल से टीवी की ये सनसनीखेज़ न्यूज़ नहीं देखता हूँ, अखबार भी रेगुलर नहीं पढ़ रहा हूँ क्योंकि मैं पिछले वर्ष इसके दुष्परिणामों से रूबरू हो चुका हूँ इसलिए अब सचेत हूँ । यक़ीन करें ये नेगेटिव ख़बरें हमें अन्दर से बहुत कमज़ोर और खोखला कर रही हैं खुदारा वक़्त रहते इनसे किनारा कीजिए ।
बहरहाल सारांश ये है कि हमें घबराना नहीं है बल्कि हालात का डटकर मुकाबला करना है पूरी ताक़त और पोज़िटिविटी के साथ । हम ज़रूर कामयाब होंगे लेकिन शर्त वही है डर और दहशत को करीब भी नहीं आने देना है क्योंकि डर और दहशत इंसान को कमज़ोर और बुजदिल बनाते हैं । डर सिर्फ़ मौत लाता है और कुछ नहीं आपको गब्बर का वो डायलाग तो याद ही होगा …………………जो डर गया समझो मर गया …………………………..
यानि आप समझ गए होंगे कि …………………….. डर के आगे जीत है ………………………
@अकमल नईम सिद्दीक़ी
8 thoughts on “कोरोना नहीं, डर है असल दुश्मन (गेस्ट ब्लॉगर अकमल नईम सिद्दीकी)”
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