अलविदा माहे रमजान
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही बरकते वही रहमते फिर से लेकर आना
वही सहरियो में उठना वही तरावीहयो का पढ़ना
वही शबे कद्र की राते फिर से लेकर आना
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही नमाजों की खुशबू वही तिलावत का जादू
वही इबादत का जज्बा फिर से लेकर आना
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही जकातो का देना वही सवाबो की बारिश
वहीं इफतारी की रौनक फिर से लेकर आना
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
ए माहे रमजान तू हमको परहेज़गार बना कर जाना
फिर से लौटे जब तू वैसा ही हमको पाना
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
तेरे जाने से ए माहे रमजान दिल है बहुत नाशाद
तेरे जाने के बाद तेरी आएगी बहुत याद
जाते जाते हमको तू ईद की खुशियां देते जाना
अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही बरकते वही रेहमतें फिर से लेकर आना
– गेस्ट पॉएट इमरान खान दौसा
22 thoughts on “अलविदा माहे रमजान, गेस्ट पॉएट इमरान खान दौसा”
Comments are closed.