मुझे अभी भी धमकियां मिल रही हैं राज्य सरकार मेरी सुरक्षा करने में असमर्थ -अमराराम

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शिकायतकर्ता सुरक्षा कानून अभी तक राज्य में नहीं हुआ लागू
मैं स्वयं पीड़ित रहा हूं, पीड़ितों की पीड़ा समझता हूं, इस मामले में सूचना आयुक्त के तौर पर जो भी कर पाऊंगा अवश्य करने का प्रयास करूंगा – नारायण बारेठ
मुझे अभी भी धमकियां मिल रही हैं राज्य सरकार मेरी सुरक्षा करने में असमर्थ -अमराराम
बाड़मेर है कार्यकर्ताओं पर अत्याचार का गढ़ – अनीता सोनी
राज्य सरकार के आदेश के बाद ऐसे संवेदनशील मामले में एफआईआर दर्ज नहीं होना गंभीर – निखिल डे
गेस्ट रिपोर्टर फिरोज़ खान
जयपुर। सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान द्वारा शहीद स्मारक पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने जवाबदेही कानून की मांग को लेकर चल रहे धरने में आज सूचना का अधिकार, पारदर्शिता और व्हिसलब्लोअर कानून और आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों को लेकर जनसुनवाई हुई।

जनसुनवाई में सर्वप्रथम व्हिसलब्लोअर कानून पर चर्चा हुई क्योंकि यह कानून 2014 में संसद द्वारा पास किया था लेकिन अभी तक यह कानून देश और राज्य में लागू नहीं किया गया है। यह बहुत ही दुखद बात है क्योंकि आए दिन सूचना के अधिकार पर काम करने वाले और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाने वाले कार्यकर्ताओं पर हमले होना आम बात हो गई है।

जन सुनवाई में राजस्थान सूचना आयोग के सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने भी भाग लिया और अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि मैं भी इस तरह की घटनाओं से पीड़ित रहा हूं एक पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा समझता हूं। उन्होंने कहा कि सूचना आयुक्त के तौर पर मैं जो कुछ भी कर सकूंगा अवश्य करने का प्रयास करूंगा।

जनसुनवाई में अमराराम, जिन पर 21 दिसंबर 2021 को हमला हुआ था, बाड़मेर से जयपुर धरने में पहुंचे और उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की। उन्होंने कहा कि मैंने ग्राम पंचायत के द्वारा गलत या फर्जी काम किए गए उन्हीं से संबंधित सूचनाएं मांगी और मैं व्यवस्था को सुदृढ़ और ठीक बनाना चाहता हूं। लेकिन यह जो भी लोग हैं वह मुझे जान से मारना चाहते हैं। मेरे साथ इस तरीके का व्यवहार किया गया और अभी 2 दिन पहले मुझे फिर से धमकी दी गई कि आप इस बार यदि नहीं माने तो आप को जान से मार दिया जाएगा। हमारे देश और राज्य के लिए यह बड़े शर्म की बात है कि भ्रष्टाचार और व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को जान से मारने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्य सरकार मुझे आज भी सुरक्षा देने में असमर्थ है। मेरे साथ अभी भी कुछ भी हो सकता है। मैं राज्य सरकार से अपील करता हूं कि मुझे सुरक्षा प्रदान की जाए।

महिला संगठन बाड़मेर से आई अनीता सोनी ने कहा कि बाड़मेर में कई आरटीआई और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं पर हमले होते रहते हैं। उनको धमकियां दी जाती हैं और एक तरीके से डर और भय का माहौल बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर एक तरह से कार्यकर्ताओं पर हमलों का गढ़ बन गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि राज्य में पहले से ही जहां कहीं भी सूचना मांगने पर हमला किया जाता है उस ग्राम पंचायत की सारी योजनाओं की विशेष जांच कराए जाने का प्रावधान है। यहां पर भी एक तीन सदस्यीय दल राज्य सरकार की तरफ से भेजा गया था। उसने केवल कुछ कामों की जांच की और उसके आधार पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को पेश की। इसके आधार पर सचिव, ग्रामीण विकास विभाग ने जिला कलेक्टर को संबंधित दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था। लेकिन एक महीना बीत जाने के बावजूद ऐसे संवेदनशील मामले पर आज तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।यह बड़े अफसोस की बात है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले एक गरीब कार्यकर्ता को बेरहमी से पीटा जाता है। उसके उसके ऊपर जानलेवा हमला किया जाता है। सरकारी विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर आज तक एफआईआर तक दर्ज नहीं करना संवेदनहीनता है। लगता है पुलिस और प्रशासन गंभीर नहीं है। तुरंत उस आदेश के आधार पर एफआईआर दर्ज की कई।

जैसलमेर से आए आरटीआई कार्यकर्ता बाबूराम तथा बाड़मेर से आए आरटीआई कार्यकर्ता भगवान सिंह ने भी सूचना के अधिकार से संबंधित अपनी अपनी कहानियां सुनाई और इस व्यवस्था से लड़ने के अपने उदाहरण धरने के दौरान पेश किए।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध से मिला प्रतिनिधिमंडल
धरने की ओर से सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध, श्री रवि प्रकाश मेहरडा, से मिला और उन्होंने अमराराम के ऊपर हुए हमले में अभी तक की गई कार्यवाही और उनको फिर से मिल रही धमकियों पर के बारे में बताया। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि इस पर तुरंत सख्त कार्यवाही की जाए और अमराराम को सुरक्षा प्रदान की जाए। इसी प्रकार बाड़मेर जैसलमेर और पश्चिम राजस्थान में कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के बारे में अवगत कराया, उन्होंने सभी मामलों में उचित कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया।

भूरा टीबा कच्ची बस्ती में जवाबदेही कानून के समर्थन में हुई सभा
आज जवाबदेही आंदोलन के समर्थन में भूरा टीबा कच्ची बस्ती में बैठक हुई जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और जवाबदेही आंदोलन को समर्थन दिया। यहां पर निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन के महासचिव हरिकेश बुगालिया ने मजदूरों को आ रही समस्याओं के बारे में अपनी बात रखी।

जवाबदेही आंदोलन के वॉलंटियर ने लिखी शिकायतें
भूरा टीबा कच्ची बस्ती में जवाबदेही आंदोलन के वॉलंटियर ईश्वर, मेहविश कैलाश वैरबा, मूलचंद ने शिकायतें लिखीं जिन्हें राजस्थान संपर्क के जवाबदेही इवेंट में दर्ज किया जाएगा

जवाबदेही धरना क्यों
पिछले 10 वर्षों से जवाबदेही कानून के लिए आंदोलन चल रहा है। हर व्यक्ति छोटे छोटे काम के लिए और समस्याओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उनके काम होते नहीं हैं और वे आगे से आगे अपना आवेदन देते रहते हैं यहां तक कि देश के महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजते हैं लेकिन तब भी उनके काम नहीं होते हैं। इसलिए निर्धारित समय में काम और समस्याओं के समाधान की व्यवस्था बने और समय पर काम, समस्या का निराकरण नहीं करने या जवाब नहीं देने पर जिले और राज्य स्तर पर स्वतंत्र अधिकरण और आयोग बने जो सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के ऊपर जुर्माना लगाए, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करे और शिकायतकर्ता को मुआवजा दिलाए।


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