पीएम मोदी का बांग्लादेश दौरे पर विरोध क्यों?
बंग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर बांग्लादेश पहुँचे जहां उन्हें भारी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। हालांकि वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के आमंत्रण पर वहाँ गए थे। ज्ञातव्य रहे की बांग्लादेश की आजादी में भारत की ही मुख्य भूमिका रही थी।
बांग्लादेश की आजादी की कहानी :-
भारत की आज़ादी के समय भारत से अलग होकर पाकिस्तान बनाया गया। चूंकि पाकिस्तान, भारत से ही अलग हुआ था तो कई राज्यों की सीमाओं को अलग करके पाकिस्तान की सीमा का निर्धारण किया गया।
पश्चिमी बंगाल का आधा हिस्सा भारत एंव आधा हिस्सा पाकिस्तान में दे दिया गया जिसे पाकिस्तान में पूर्वी बंगाल और बाद में पूर्वी पाकिस्तान नाम दिया गया। पाकिस्तान की सरकारों द्वारा इस क्षेत्र की लगातार उपेक्षा की गई, फलस्वरुप शेख मुजिबुर्रहमान के नेतृत्व में पूर्वी पाकिस्तान में स्वाधीनता आंदोलन शुरू हुआ।
शेख मुजिबुर्रहमान: –
1971 मे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था जिसमें भारत की जीत हुई थी और पूर्वी पाकिस्तान का वह हिस्सा जो अलग देश चाहता था, उस समय की तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रयासों से से अलग देश का निर्माण हुआ जिसे बांग्लादेश नाम दिया गया। स्वाधीनता आंदोलन के मुख्य हीरो रहे शेख मुजिबुर्रहमान को उस वक्त बांग्लादेश का राष्ट्रपति बनाया गया और बाद में यह बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भी बने। शेख मुजिबुर्रहमान को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता एंव बंगबन्धु के नाम से जाना गया।
भारत के प्रधानमंत्री मोदी का विरोध क्यों?
बांग्लादेश के दिवंगत प्रधानमंत्री शेख मुजिबुर्रहमान एक धर्मनिरपेक्ष देश चाहते थे। जब से बांग्लादेश स्वतंत्र देश बना है तब से वह भारत का उपकार मानता आया है और हमेशा यहा के प्रधानमंत्री को अपने जश्न मे शामिल करता रहा है। 2021 मे बांग्लादेश की आजादी को पूरे पचास वर्ष पूर्ण होने पर भारत की और से प्रधानमंत्री मोदी समारोह में शामिल हुए जिन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। बीबीसी न्यूज से प्राप्त जानकारी के अनुसार बांग्लादेश के मुस्लिम नेता एंव वामपन्थी संघठन, प्रधानमंत्री मोदी को साम्प्रदायिक नेता मानती है इसलिए देश में दो दिन तक अलग अलग जगहों पर कई प्रदर्शन हुए।
प्रधानमंत्री शेख हसीना का विरोध :-
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, दिवंगत प्रधानमंत्री शेख मुजिबुर्रहमान की पुत्री है। गौरतलब है कि 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में शेख मुजिबुर्रहमान, उनकी पत्नी एंव उनके तीन पुत्रों की हत्या कर दी गई थी। उनकी दो पुत्रियाँ शेख हसीना और शेख रिहाना उस समय जर्मनी में होने की वजह से जिंदा बच गई और बाद में शेख हसीना को बांग्लादेश की अवामी लीग ने अपना अध्यक्ष चुन लिया। वर्तमान में बांग्लादेश की कमान शेख हसीना के हाथो मे ही है। लम्बे समय से शासन की बागडोर एक पार्टी, एक व्यक्ती के हाथो में होने के कारण एक वर्ग में असंतोष है, इस कारण बांग्लादेश में उनका विरोध होना भी स्वाभाविक है और भारत के प्रधानमंत्री के विरोध को भी इसी का एक हिस्सा माना जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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