विश्व मानवता शर्मशार!
एक छोटे देश यूक्रेन को पूरी दुनिया ने मरने के लिए छोड़ा
सम्भवतः पूरी दुनिया के पाठ्यक्रम में मानवता की बाते सिखाई जाती होगी। अगर कोई मुसीबत में हो तो उसकी हर सम्भव मदद करने की बाते हर देश का संविधान कहता होगा और भी कई तरह की ज्ञानवर्धक बाते दुनिया का हर देश और वहाँ के नागरिक करते होंगे लेकिन वर्तमान परिदृश्य से स्पष्ट है कि वो समस्त बाते सिर्फ पाठ्यक्रम का हिस्सा थी या सिर्फ दिखावा। वास्तविक जीवन में ऐसा कुछ नहीं होता है जो पढ़ाया एंव बताया जाता है।
पूरी दुनिया युद्ध की चपेट में है। विश्व की एक बड़ी शक्ति (रूस) एक छोटे से देश (यूक्रेन) को हड़पने के लिए अरबों रुपये बर्बाद कर विश्व की शांति भंग कर रही है। पूरी दुनिया तमाशबीन है। कोई चुप है क्यूंकि वह रूस का समर्थक हैं, कोई चुप है क्यूंकि उसके रूस के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध है, कोई चुप है क्यूंकि उन्हें यूक्रेन की तरफ बोलने से कोई फायदा नहीं है, और कोई चुप है क्यूंकि उन्हें ऐसे किसी मामले में कोई दिलचस्पी ही नहीं है। ऐसे न जाने कितने ही कारण है जिसकी वजह से एक देश की तानाशाही को पूरा विश्व बर्दाश्त कर रहा है।
यूक्रेन जैसे छोटे और मजबूर देश पर रूस पूरी तरह हावी है। आज नहीं तो कल वो शक्ति जीत ही जायेगी जिसका सब को अनुमान है, लेकिन बहस का विषय यह होगा कि क्या ये जीत वाक़ई रूस की जीत होगी या बहादुरी से लड़ने वाले उस देश और वहाँ के नागरिको की होगी जिन्होंने सीमित संसाधनों में बिना झुके और बिना आत्मसमर्पण किए दुश्मन सेना का मुकाबला किया और आखिरी दम तक लडते रहे जबकि उनके अपने होने का दम भरने वाले भी उनका साथ छोड़ गए।
अपने आपको सुपरपॉवर समझने वाला अमेरीका हमेशा की तरह सिर्फ बातों के पहाड़ बनाता रहा, नाटो संघठन यूक्रेन को मदद के झूठे आश्वासन देता रहा और यूक्रेन समर्थित शेष दुनिया सोशल मीडिया पर सांत्वना देती रही।
रूसी सेना एक के बाद एक अमानवीय कृत्य कर न सिर्फ युद्द लड़ रही है बल्कि मानवता को शर्मसार करने वाली बमबारी कर रही है। केमिकल बम से नहीं जीत पाई तो अब परमाणु बम की धमकियां देने लगे हैं और शायद हो सकता है परमाणु बम का इस्तेमाल कर भी ले क्यूंकि उन्हें रोकने वाला तो कोई है नहीं। द्वित्तीय विश्वयुद्ध के परमाणु बम का घातक असर दुनिया में आज तक देखा जा सकता है, ऐसे में वर्तमान में परमाणु बम का कितना नुकसान होगा उसका अंदाजा लगाना भी काफी भयावह है। इतना होने पर भी, मानवता के नाम पर पूरी दुनिया की चुप्पी सोचनीय है। युद्ध रोकने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि युद्ध में किसी की तरफ से हिस्सा लिया जाए बल्कि युद्ध रोकने के प्रयास किया जाना भी मानवता का कार्य होता है।
नासिर शाह (सूफ़ी)
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