राष्ट्रीय युवा दिवस पर “विकसित युवा विकसित भारत” विषय पर पाठक संवाद कार्यक्रम (कोटा न्यूज़)
चट्टानों को चटका दे , रवानी उसको कहते है । दिलपर नक्श जो हो जाये , कहानी उसको कहते है ॥
नही मालूम तुझको कि करिश्मा क्या होता है। उलट दे जो हिमालय को जवानी उसको कहते है ॥ – राम शर्मा
कोटा । राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा मे आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद को सनातन संस्कृति व भारतीय अध्यात्म परंपरा को वैश्विक क्षितिज पर पुनर्स्थापित करने वाले महान संन्यासी के रूप में याद करते हुये इस दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप मे मनाया गया । इस अवसर पर “विकसित युवा विकसित भारत” विषय पर पाठक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता रामकरण प्रभाती वरिष्ठ साहित्यकार एवं अध्यक्ष सारंग साहित्य समिति कोटा , मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मोहन राकेश नाटय लेखन सम्मान- 2023 से पुरस्कृत राम शर्मा “ कापरेन” वरिष्ठ नाटयकर्मी एवं साहित्यकार , विशिष्ठ अतिथि सुरेश वेष्णव साहित्यकार ने की ।
उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुये डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष ने कहा कि – “युवा किसी भी समाज की शक्ति होते हैं। युवा बहुत कुछ सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करती है कि युवा लोगों को उनके परिवारों में या शैक्षणिक संस्थानों में या समाज में किस तरह की सलाह या मार्गदर्शन दिया जा रहा है । जब हम ‘युवा’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो हमारे बीच भ्रम होता है। यूथ की परिभाषा अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार युवा का अर्थ है 15 से 24 वर्ष के बीच के युवा। राष्ट्रीय युवा नीति (एनवाईपी) के अनुसार, 29 वर्ष की आयु तक का युवा भारत में युवा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राम ने कहा कि – “विषम परिस्थितियों मे अपने अस्तित्व को जो बचाकर रख लेता है , सही मायने मे वही युवा है” । आगे उन्होने युवाओं से आवहान करते हुये कहा कि – चट्टानों को टका दे , रवानी उसको कहते है । दिलपर नक्श जो हो जाये , कहानी उसको कहते है ॥ नही मालूम तुझको कि करिश्मा क्या होता है। उलट दे जो हिमालय को जवानी उसको कहते है ॥ अध्यक्षता कर रहे प्रभाती जी ने कहा कि – स्वामी विवेकानंद की 160वीं जयंती के मौके पर युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सनातन संस्कृति व भारतीय अध्यात्म परंपरा को वैश्विक क्षितिज पर पुनर्स्थापित करने वाले महान संन्यासी और युवाओं के आदर्श के रूप में याद किया। विशिष्ठ अतिथि सुरेश ने कहा कि – 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव को मनाने के पीछे लोगों के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और उनके बारे में जानकारी प्रदान करना। स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को जीवित रखना और युवाओं को प्रेरित करना उत्सव का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यक्रम का संचालन डबली कुमारी परामर्शदाता सावित्री बाई फुले वाचलनाय राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा ने किया । इस अवसर पर युवा पाठक चंचल, रेखा गोड , अक्षिता गौत्तम , वंदना श्रंगी , मानसी पांचाल, ट्विंकिल गुर्जर अंतिम श्रंगी , दक्ष गौतम , अशोक राठोर विकास शर्मा , मोहन सुमन , दीपक नामदेव एवं योगेन्द्र सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये ।
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