सूफ़ी की क़लम से…✍🏻
“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “
भाग- 11 “सौन्दर्य प्रसाधन “
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक,हर युग में सौन्दर्य प्रसाधनों ने, स्त्री-पुरुषों को प्रभावित किया है । जमाना पुराना था तो सजने सँवरने के तरीक़े भी पुराने थे। घरों में उबटन,मेहंदी, एलोवेरा,नीम जैसी अनेक ओषधियाँ उपलब्ध होती थी जिनका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन के साधनों के रूप में किया जाता था । विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ, फलों के रस, दूध और दूध से बने उत्पादों का लेप लगाकर शरीर की सजावट की जाती थी । मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल, विभिन्न प्रकार के पेड़ों के पत्ते , फूल आदि का सेवन नहाने में किया जाता था जो आजकल केवल ऐतिहासिक टीवी सीरियल या फ़िल्मों में ही दिखाई देता है । पहले के लोग सिर्फ़ खाने कमाने में ही मेहनत नहीं करते थे बल्कि अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिये भी मशक्कत करते थे और जितनी मेहनत करते थे उतना परिणाम भी मिलता था । पहले के इंसान बरसों तक त्वचा रोगों को जानते भी नहीं थे, काफ़ी उम्र तक झुर्रियाँ नहीं पड़ती थी, निश्चित उम्र से पहले शायद ही किसी के बाल सफ़ेद होते थे और तो और बरसों की उम्र प्राप्त करने पर भी काफ़ी कम उम्र के प्रतीत होते थे ।
अब आते हैं हमारे वर्तमान आधुनिक दौर में जहाँ इंसान के पास हर चीज़ का समय है सिवाय ख़ुद के ऊपर समय बिताने के । आज का इंसान ,पहले के इंसानों की तुलना में काम तो बहुत ज़्यादा करता है लेकिन सिर्फ़ अपनी उन्नति के लिए । इसलिए उनके पास खर्च करने का पैसा तो बहुत होता है लेकिन अपने लिए ना तो सही ख़ान पान का बंदोबस्त कर पाता है और ना ही अपनी स्वस्थ जीवन शैली पर । हाथ धोने के हैंडवॉश पेपर से लेकर सम्पूर्ण शरीर की सफ़ाई और देखभाल के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ बाज़ार के उत्पादों पर निर्भर है । जैसा की हम पिछले भाग में पढ़ चुके हैं जैसे बच्चों के प्रोडक्ट में खतरनाक केमिकल मिलाए जा रहे हैं तो सोचो ज़्यादा से ज़्यादा लाभ कमाने वाली कंपनियाँ बड़ो को कैसे बख्श देगी! आजकल बाजार में तेल,साबुन ,क्रीम, जैसी बड़ी बड़ी कंपनियाँ स्थापित हो चुकी हैं जो ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजित ख़ुशबू वाले कई सारे प्रोडक्ट बनाती हैं। इन उत्पादों को लंबे समय तक ख़राब होने से बचाने और तुरंत असर दिखाने के लिए कई तरह के केमिकलो का सहारा लिया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन हम इनके आदि हो चुके हैं और पूरी तरह से इन पर निर्भर भी । ऐसे में हमारे पास नाममात्र के विकल्प बचते हैं जो नाकाफ़ी होते हैं ।
हमें स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए घरेलू नुस्खे अपनाने चाहिए । आज भी एलोवेरा, नीम, हल्दी, विभिन फल,दूध और दूध के प्रोडक्ट ,जैसे अनेक चीजें हमारे किचन में उपलब्ध हैं और उनके त्वचा संबंधी इस्तेमाल आए दिन समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं तो आइए कुछ क़दम पीछे चलते हुए,जितना हो सके उतना घरेलू उपायों को अपनाकर अपने शरीर की सजावट में लगाएं । देशी घी-तेल, फलों,सब्जियों, और अन्य औषधियों से अपने आपको संवारें ।
मिलते हैं अगले भाग में ।
आपका सूफी
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