आओ चलो आज से एक काम करते है,
बची है जो जिन्दगी उसे किसी के नाम करते हैं।
मंजर है यहां मौत का बिखरा हुआ चारों तरफ,
अब रक्त की हर बूंद देश के नाम करते है।
लापता हैं जिन्दगी इस कॉरोना की आड़ में,
चलो घर से ही सही, लोगों की जिन्दगी आबाद करते हैं।
आओ चलो आज से एक काम करते हैं,
बची है जो जिन्दगी उसे देश के नाम करते है।
इतना बेबस तो कभी जिंदगी को देखा नहीं होगा,
बीमारी से बचने के लिए भूख से मरें ,
ऐसा लाचार तो जीवन कभी सोचा नहीं होगा,
चलो आज हम भूख और बीमारी से दो – दो हाथ करते है।
आओ चलो आज से एक काम करते हैं,
बची है जो जिन्दगी उसे किसी के नाम करते हैं।
चलो घर पर रहकर ही सही,
लोगो की जिन्दगी आबाद करते हैं।
15 thoughts on “चलो इस महामारी में किसी के काम आए (गेस्ट पॉएट अंतिमा मीणा)”
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