अलविदा माहे रमजान, गेस्ट पॉएट इमरान खान दौसा

Sufi Ki Kalam Se

अलविदा माहे रमजान

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही बरकते वही रहमते फिर से लेकर आना

वही सहरियो में उठना वही तरावीहयो का पढ़ना
वही शबे कद्र की राते फिर से लेकर आना

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना

वही नमाजों की खुशबू वही तिलावत का जादू
वही इबादत का जज्बा फिर से लेकर आना

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना

वही जकातो का देना वही सवाबो की बारिश
वहीं इफतारी की रौनक फिर से लेकर आना

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना

ए माहे रमजान तू हमको परहेज़गार बना कर जाना
फिर से लौटे जब तू वैसा ही हमको पाना

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना

तेरे जाने से ए माहे रमजान दिल है बहुत नाशाद
तेरे जाने के बाद तेरी आएगी बहुत याद

जाते जाते हमको तू ईद की खुशियां देते जाना

अलविदा माहे रमजान तू फिर से लौट कर आना
वही बरकते वही रेहमतें फिर से लेकर आना

गेस्ट पॉएट इमरान खान दौसा


Sufi Ki Kalam Se

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