विषय- राह
चक्रव्यूह की हर रचना को, करना अब स्वीकार है!
अभिमन्यु सम आगे बढ़ना, राह नई तैयार है!!
शंख बज चुका महा क्रांति का आगे बढ़ना होगा!
राह कठिन हो,समय विषम हो,समर क्षेत्र चलना होगा!!
निज बाधा के लिए हमें ही आज स्वयं लड़ना
होगा!
रणभूमि की कठिन राह पर, दृढ़ अंगद पद धरना होगा!!
शत्रु के हर वार,घात अब ,अर्जुन बन दलना होगा!
नए समय की परिभाषा है, हमको रंग बदलना होगा!!
कैसा हो संघर्ष, विजय तो सच की होती आई!
अंत नहीं परिवर्तन होगा कितनी बढ़ी बुराई!!
कठिन डगर, मगर शुभ अवसर मंजिल करती पुकार है!
छोड़ चलो यह रीत पुरानी ,राह नई तैयार है!!
मौलिक स्वरचित रचना
कृष्णगोविन्दशर्मा (कुणाल गौतम)
सीसवाली ,बारां राजस्थान
13 thoughts on “गेस्ट पोएट कॉलम में पढ़िए कुणाल गौतम की शानदार प्रेरणादायी कविता “विषय- राह””
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