उनको ये गिला है कि जाके कहीं डूब मरे हम
नज़रों से उनकी दूर बहुत कहीं जाके बसे हम
दिखता नहीं दूर तलक कोई किनारा
ये कैसे समंदर में खुदा आके फंसे हम
हो कैसे ग़म दूर फिलस्तीन का दिल से
आँखों को किए नम चलो ईद मिले हम
दुनिया से मिला न जब कोई सहारा
मजबूर हो के रब तेरे दर पे गिरे हम
है आज जो हालात रईस न वो आइंदा कभी हो
चलो मिल्लत की भलाई की दुआ रब से करे हम
– गेस्ट पॉएट रईस अहमद
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