उठ उठ कर तकदीर बदल दे।
दुनिया की तस्वीर बदल दे।।
शिरको बिदअत मे उलझाऐ।
जल्दी ऐसा पीर बदल दे।।
जिससे नफरत की बू आये।
ऐसी हर तहरीर बदल दे।।
दौर बमों का आ पहुंचा हे।
बोसीदा शमशीर बदल दे।।
कब तक पस्ती झेले मौला।
इस मिल्लत का मीर बदल दे।।
तालीमी जेवर से “राही”।
बच्चों की तकदीर बदल दे।।
– गेस्ट पॉएट रफीक "राही' माँगरोल
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