मीडिया संस्थान छोटे बड़े हो सकते है पर पत्रकार नहीं: जेसीआई (गेस्ट रिपोर्टर फ़िरोज़ खान)

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मीडिया संस्थान छोटे बड़े हो सकते है पर पत्रकार नहीं: जेसीआई

कोरोना से 300 पत्रकारों की हो चुकी है मौत

एसडीएम के सामने ही पत्रकार की पिटाई चिंतनीय

– गेस्ट रिपोर्टर फ़िरोज़ खान
बारां 19 मई।आज जब देश में कोरोना ने अपनी दूसरी लहर में रौद्र रूप धारण कर रखा है हजारो पत्रकार इसकी चपेट मे आ चुके है लेकिन सरकारें लगातार इन्हें नजरअंदाज कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कई जाने-माने पत्रकारों सहित 300 से अधिक मीडियाकर्मियों ने अपनी जिंदगी खोई हैं। कोरोना की दूसरी लहर से कई वरिष्ठ पत्रकारों के साथ-साथ भारत के कई जिलों, कस्बों और गांवों में काम करने वाले पत्रकारों ने भी अपनी जिंदगी खोई है।
दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कुल 238 पत्रकारों की मौत हुई है, ये ऐसे मामले हैं जिनकी पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा संस्थान में 82 अन्य नाम हैं, जिनका सत्यापन होना बाकी है। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से दिसंबर 2020 तक महामारी की पहली लहर ने 56 पत्रकारों की जान ले ली थी। इसकी तुलना में दूसरी लहर ने 1 अप्रैल 2021 से 16 मई 2021 के बीच 171 पत्रकारों की जान ले ली है। बाकी 11 पत्रकारों की मौत जनवरी से अप्रैल के बीच में हुई हैं।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि केन्द्र सरकार की जर्नलिस्ट वेल्फेयर स्कीम के तहत जो सहायता दी जा रही है वह भी एक सामान्य पत्रकार को नहीं मिल पा रही है। क्योकि सरकार के पास पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े मीडिया कर्मियों का सही आंकड़ा है ही नहीं।दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने दिल्ली में कोरोना से मौत होने पर आम आदमी के लिए भी 50 हजार की आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी है लेकिन पत्रकारों के लिए कोई घोषणा न होना यह दर्शाता है कि सरकार की नजर में सामान्य पत्रकारो की क्या हैसियत है इसका सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।
संगठन के अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सिद्दार्थ नगर मे एक पत्रकार को सच को उजागर करना इतना भारी पड़ गया कि एसडीएम के सामने ही उनके गुर्गो ने उसकी पिटाई कर दी और अभी तक ऐसे अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही न करके सरकार क्या संदेश देना चाहती है या यू कहें कि यह मीडिया की आवाज दबाने की ही एक साजिश है प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहते कि उनकी नाकामियों पर से पर्दा उठाया जाये और ऊपर शासन स्तर पर इसकी जानकारी सब को मिले।
संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को यह जानना चाहिए कि मीडिया संस्थान तो छोटे बड़े हो सकते है लेकिन पत्रकार छोटा बड़ा नहीं हो सकता है।इसलिए सरकार की ओर से जो भी सहूलियतें मिले वह सबको एक समान ही मिले। संगठन की मांग पर कई सरकारों ने पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की श्रेणी में माना है और कुछ घोषणाएं भी की है लेकिन यह घोषणाएं जमीनी स्तर पर कब लागू होगी इसका अभी तक कोई अता-पता नहीं है।
कोरोना से बचाव के लिए संगठन ने एक एडवाइजरी जारी की थी संगठन के अध्यक्ष ने मीडिया कर्मियों से पुन: अपील की है कि वह बचाव के लिए इस एडवाइजरी का पालन करें।


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