पठारी गांव में पेयजल संकट स्थाई समाधान की आस
गेस्ट रिपोर्टर फ़िरोज़ खान
बारां। पठारी गांव सहरिया जनजाति बाहुल्य गांव है। इसमें करीब 300 सहरिया जनजाति के परिवार निवासरत है।यह गांव अंतिम छोर पर पहाड़ी के नीचे बसा हुआ है। इस गांव में अभी मोबाइल की कनेक्टिविटी नही है। सड़क पर आने के बाद ही लोगो से मोबाइल के जरिये सम्पर्क हो पाता है।इस गांव सहरिया जनजाति की बस्तियों में लगे सभी हैंडपंप खराब या भू जल स्तर नीचे चले जाने से बेकार पड़े हुए है।इन परिवारों के लिए सरकार व प्रशासन तथा ग्राम पंचायत द्वारा पेयजल समस्या का स्थाई समाधान आज तक नही कर पाए है। गर्मी के मौसम में 2-3 महीने के लिए पानी का एक टैंकर चलता है जिससे लोगो की पूर्ति भी नही होती है। और आपस मे झगड़े और होते है। गांव के बचचुलाल सहरिया,रंगी सहरिया, इंदरलाल,श्रीलाल, संजय, कासीराम ने बताया कि हम लोगो की उम्र हो गयी मगर अभी तक भी पानी का समाधान नही हुआ है। सहरिया बस्ती के लोग 2 किलोमीटर की दूरी तय कर एक कुएं से पीने का पानी लाते है। गांव में अन्य समुदाय के मोहल्ले में ट्यूबवेल लगी हुई है मगर वह भी पानी नही भरने देते है। यह भी भेरू बाबा के स्थान पर लगी हुई है। गांव के लोगो ने बताया कि बस्ती के लोगो ने एक सार्वजनिक कुँआ खोदा था 4-5 साल पहले उस कुएं की25 हाथ गहराई व 15 हाथ चौड़ाई हो जाये तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है। क्योंकि इस कुएं में गर्मी के मौसम में भी पानी नही टूटता है। हालांकि गहराई नही होने के कारण मात्र एक दो फिट पानी है। इन लोगो को कहना है कि इस कुएं का गहरीकरण व चोड़ाई करण हो जाये तो इसमें पानी की आवक बढ़ जाएगी और गर्मी का मौसम आराम से निकल जाया करेगा। बाकी सर्दी व बारिश में तो इस कुएं का पानी ऊपर आ जायेगा तो पीने के पानी की कोई समस्या ही नही रहेगी। जाग्रत महिला संगठन ने पठारी गांव की पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिए कुएं का गहरीकरण करवाकर बस्ती में पानी की टँकी को इस कुएं से जोड़ने की मांग विकास अधिकारी छुट्टनलाल मीणा शाहाबाद से की है।
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