सूफ़ी की कलम से…
जून से राकमा का प्रदेश अध्यक्ष कोई और होगा – डॉ अशफ़ाक
राकमा प्रदेश अध्यक्ष का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू सिर्फ ‘सूफ़ी की कलम से’ पर
सूफ़ी v/s डॉ अशफ़ाक
सूफ़ी – डॉक्टर अशफ़ाक साहब, आप राकमा (राजस्थान अधिकारी कर्मचारी मुस्लिम एसोसिएशन) के संस्थापक हैं और पहले प्रदेश अध्यक्ष भी, तो हमारा पहला सवाल आपसे ये है कि राजस्थान मे पहले से अन्य मुस्लिम कर्मचारियों के संघठन होने के बाद भी आपको नए संघठन की जरूरत क्यों महसूस हुई?
ज़वाब – जी आपने पहला सवाल ही बहुत अच्छा पूछा है। आज तक माइनोरिटी अधिकारी कर्मचारियों के संघठन तो कई बने लेकिन उनका न कोई संविधान है न ही इलेक्शन की कोई प्रजातांत्रिक प्रणाली है।इस वजह से राजा और प्रजा वाला सिस्टम चल रहा था, जो हमारे अधिकारी कर्मचारी भाइयो को रास नही आ रहा था। सिस्टम में पारदर्शिता हो और हर किसी को नेतृत्व करने का मौका मिले। इसी को मद्दे नज़र रखते हुये सामन्त शाही सोच को समाप्त करने के लिये रकमा संग़ठन वजूद में आया।
सूफ़ी – तो क्या आपके संघठन मे प्रजातंत्रीय व्यवस्था लागू हुई है, अगर हुई है तो कैसे ?
डॉ अशफ़ाक – पहला कार्यकाल मई 21 में समाप्त हो रहा है अगले प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ।मेम्बरशिप अभियान अप्रैल तक चलेगा इसके बाद हर जिले में से प्रत्येक 25 मेम्बर पर एक चुनाव के जरिये महासमिति मेंबर चुना जाएगा। कुल राजस्थान में जितने महा समिति मेंबर चुने जायेगे वो फाइनली जयपुर में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। माह जून 21 से रकमा का प्रदेश अध्यक्ष मेरे अलावा कोई और ही होगा।
सूफ़ी – मतलब स्पष्ट है कि इस बार होनें वाले चुनावो में आप उम्मीदवार नहीं होंगे? अगर नहीं तो फिर संगठन में आपकी क्या भूमिका होगी?
डॉ अशफ़ाक – जी मेरा मानना है कि राजस्थान में मुझ से भी बेहतर लोग है ।
संग़ठन मुझे जो जिम्मेदारी देगा उसे बखूबी निभाने की कोशिश करूंगा।
सूफ़ी – अगर संघठन के लोग फिर से आपको प्रदेश अध्यक्ष देखना चाहे तो?
डॉ अशफ़ाक – जब से संग़ठन में इलेक्शन की बाते उठी है मेरे पास पूरे राजस्थान से मेरे साथियो के फोन आ रहे है लेकिन मेने उन्हें समझा दिया कि बदलाव हमेशा अच्छा होता है । दूसरों को भी काम करने का मौका दो। मैं खुद इस रेस से बाहर हूँ।
सूफ़ी – संघठन मे इलेक्शन की बात कैसे उठी? क्या हर साल संघटन मे चुनाव होंगे ये पहले से तय था या आपके काम से लोग संतुष्ट नहीं हुए इसलिए चुनाव की मांग कर रहे हैं?
डॉ अशफ़ाक – हमारे संग़ठन के आईने में साफ है कि हर दो साल में चुनाव होंगे।
हम संग़ठन संविधान की अक्षरशः पालना करेंगे इन्शा अल्लाह । मेरे दो साल मई 2021 मे पूरे हो रहे हैं।
सूफ़ी – क्या आपको उम्मीद है कि नए प्रदेश अध्यक्ष, संघठन के उद्देश्य की पूर्ति भली भांति करेंगे?
डॉ अशफ़ाक – मेरा ऐसा मानना है कि हर इंसान में नेतृव क्षमता होती है और वो जब पद पर होता है तो बेस्ट देने की कोशिश करता है और मुझे यकीन है कि हमारे संग़ठन में ऐसे कई काबिल इंसान है।
सूफ़ी – मदरसा पैराटीचर्स के बारे में क्या कहना है आपका? आपके संघठन ने उनके लिए अब तक क्या किया? वो अब तक संविदा की जिंदगी जीने पर मजबूर है?
डॉ अशफ़ाक – मदरसा पैरा टीचर के बारे में मननीय मुख्यमंत्री जी से विस्तार से हमारी बात हुई है उन्होंने एक कमेटी का गठन भी कर दिया इनको किस तरह से परमानेंट किया जा सकता है इसपर काम चल रहा है।
सूफ़ी – जंहा तक मुझे पता है कि आप राजस्थान में एक छोटी सी जगह नौताड़ा मालियान से ताल्लुक रखते हैं तो यहां रहते हुए आपने इतना बड़ा ख्वाब कैसे देखा और यहां तक पहुँचने के लिए आपने क्या किया? अपने परिवार और अपने संघर्ष के बारे में कुछ बताये?
डॉ अशफ़ाक – जी यह सही है। मेरी पैदाईश कोटा जिले के एक गांव नोताड़ा मालियान में हाजी नूर मोहम्मद और हज्जन सायरा बानो के घर वर्ष 1966 में हुई ।
प्राइमरी शिक्षा गांव से , हायर सेकेंडरी नज़दीकी कस्बा सुल्तानपुर से एवं कालेज शिक्षा कोटा से हुई।
मेरे वालिद मरहूम हाजी नूर मोहम्मद साहब सरकारी सेवारत रहते हुये समाजिक कार्यो से जुड़े हुये थे इसी के साथ मेरे मामू मरहूम हाजी रशीद पठान साहब (ग्राम सेवक जी) जो उनके वक्त के इलाके की जानी मानी शख्शियतों में शुमार किये जाते थे के सानिध्य में रहकर मेरी परवरिश हुई । मुझे खलके खुदा की खिदमात का शौक विरासत में मिला। मेरा कालेज शिक्षा के पश्चात शुरू से ही किसी बड़ी फैक्ट्री में जॉब करने का इरादा था और इसी और मैने मेहनत की और अल्हम्दुलिल्लाह वर्ष 1990 में मेरा सलेक्शन देश की महारत्न कम्पनी एनटीपीसी में हुवा।
सूफ़ी – थोड़ा अपनी फैमिली के बारे में भी बताये?
डॉ अशफ़ाक – फैमिली में मेरी वालदा है, बेगम है और दो बच्चे है।
अल्हम्दुलिल्लाह 21 फरवरी को बेटी की शादी भी तय हो चुकी है। होने वाले दामाद जी उप पुलिस अधीक्षक, ग्रह मंत्रालय भारत सरकार में है । इसके अलावा
बेटा आयुर्वेद डॉक्टर के अन्तिम वर्ष में पढ़ाई कर रहा है।
सूफ़ी – आपको ये प्रेरणा कहा से मिली और किस तरह आपने इसे अंजाम दिया?
डॉ अशफ़ाक – प्रेरणा तो जनाब किसी भी इन्सान में तुखम तासीर और सोहबत असर से मिलती है। एक तो मेने बचपन से ही घर का माहौल ऐसा देखा और बाद में ऐसे लोगो के सम्पर्क में आते गये जिन्होंने असलियत में जीवन जीने का तरीका सिखाया, और वो है मेरे पीर, मेरे गुरु सूफी हाफिज अब्दुल हकीम शाह साहब जिनकी सोहबत ने मुझे असल इन्सान बनाया। मेरे पीर का यही फरमान था कि हम सब एक आदम और हव्वा की औलादे है इस रिश्ते से हम सब भाई है।खलके खुदा की खिदमात बेहतरीन नेकी है।यही मेरे दिल दिमाग मे घर की हुई है।
दो साल पहले जब रकमा बन रहा था तो जयपुर सेक्रेटरिएट से कुछ मेरे बुर्दबार साथी न जाने कहा से मेरा पता लेकर मुझ तक पहुंचे और संग़ठन के बारे में बताया में उनकी बातों से मुतास्सिर हुवा और सारे राजस्थान में मेम्बर बनाने के बाद महासमिति बनी और महा समिति प्रजातांत्रिक तरीके से संग़ठन की बागडोर मेरे हाथ मे दी।
मेने एक बात लोगो के जहन में जरूर डाल दी कि हमारी 80% परेशानियों का हल हम लोग आपस मे एक दूसरे के काम आकर कर सकते है। और यह सब अभी पूरे राजस्थान में हो रहा है।
साथ ही मुझे कह्ते हुये खुशी है कि कोरोना वबा में भी हमारे साथी चुप नही बैठे। मेरी एक अपील पर लोगो ने शिद्दत से अपनी खिदमात अन्जाम दी।
सूफ़ी – जी अशफ़ाक साहब। हमारे कुछ कड़वे और कुछ मीठे सवालों का जवाब देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।अब हम आपसे विदा चाहेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि आपका संघठन भविष्य में आपके सपने को साकार करें।
डॉ अशफ़ाक – आमीन। जी आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया।
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