विश्व पुस्तक दिवस -2023 की पुर्व बेला पर “किताबों के आलोक मे “गजल” के अल्फाज” कार्यक्रम का आयोजन(कोटा न्यूज़)

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विश्व पुस्तक दिवस -2023 की पुर्व बेला पर “किताबों के आलोक मे “गजल” के अल्फाज” कार्यक्रम का आयोजन

कोटा । राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय , कोटा के डॉ एस.आर. रंगानाथन कनवेंशनल हॉल मे विश्व पुस्तक दिवस -2023 की पुर्व बेला पर “किताबों के आलोक मे “गजल” के अल्फाज” कार्यक्रम का आयोजन विकल्प जन सांस्कृतिक मंच और मंडल पुस्तकालय के संयुक्त तत्वाधान मे किया गया।

इस कार्यक्रम में बीना (मध्य प्रदेश) से पधारे मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गजलकार महेश कटारे सुगम और किशोर कथाकार काव्या कटारे को शाल ओढ़ा कर एवं मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी व हाड़ोती के वरिष्ठ साहित्यकार अंबिका दत्त और विकल्प के अध्यक्ष किशन वर्मा ने की । साहित्यकार भगवती प्रसाद गौतम, जितेन्द्र निर्मोही और डा. अतुल चतुर्वेदी विशिष्ठ अतिथि रहे। गोष्ठी का संचालन विकल्प के अ. भा. महासचिव महेन्द्र नेह ने एवं संयोजन डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष ने किया।

उदघाटन भाषण मे डॉ दीपक ने कहा कि – पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं।

महेश कटारे ने अपनी हिंदी एवम् बुंदेली की जनपक्षधर गजलों से गरीब मेहनतकशों के अमानवीय शोषण और दमन पर टिकी वर्तमान व्यवस्था पर गहरे व्यंग्य और कड़े प्रहार किए। काव्या की सामाजिक चुनौतियों से भरी व्यंग्य कविताओं ने सभी उपस्थित रचनाकारों को गहरे तक प्रभावित किया।

जिन कवियों एवम् शायरों ने अपनी कविताओं, गीतों और गजलों से गोष्ठी को समृद्ध और यादगार बनाया,उनमें डा, शबाना सहर, डा. कृष्णा कुमारी, डा. शशि जैन, राम नारायण मीणा हलधर, वेद प्रकाश परकाश, मुरलीधर गौड़, दिनेश राय द्विवेदी,, अहमद सिराज फारूकी, रतन लाल वर्मा, राम शर्मा कापरेन, केदार शर्मा धनंजय आदि प्रमुख थे।

अध्यक्षता कर रहे कवि अम्बिका दत्त चतुर्वेदी, किशन वर्मा एवं भगवती प्रसाद गौतम, जितेन्द्र निर्मोही , डा. अतुल चतुर्वेदी और महेन्द्र नेह ने अपने उद्बोधन , गीतों और गजलों में वर्तमान अंधेरे से उजाले अज्ञान से ज्ञान की दिशा में बढ़ने और विषमताओं व भेदभाव से घिरे वातावरण से मुक्ति की छटपटाहट व्यक्त की।


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