नयी क़लम, SRK.G की क़लम से….✍🏽 (शाहरूख खान, गोलू)
सुल्तान + हिन्द = अज़मेर शरीफ़
जिनका नाम सुनते ही लोगों के दिलो में एक चाहत जैसी महसूस होने लगती है। 7 वी सदी में चौहान राजवंशो द्वारा बसाया हुआ शहर जो कि एक सर – सब्ज़ इलाका और चारों तरफ़ पहाड़ियों से गिरा हुआ है, जिसे आज राजस्थान का ह्रदय के नाम से जाना जाता है। यह कोटा से लगभग 184 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जहाँ पर जाने के लिए लगभग 5 से 6 घण्टे का वक़्त लग जाता है।
अजमेर शहर ख्वाजा की नगरी होने के साथ साथ एक पर्यटन स्थल भी माना जाता है।
यहाँ पर मशहूर दरगाह – हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रह… अलेह. की है जो, राजस्थान के मशहूर सूफ़ी गुज़रे है। इनकी सबसे मशहूर करामात रोटी का टुकड़ा जो इनके पीरो मुर्शीद हज़रत ख़्वाजा उस्मान हारूनी ने इनको जो करामातें सिखाई उनमे से एक करामात यह भी थी। इसी वज़ह से आज़ ये ग़रीब नवाज के नाम से जाने – जाते है। इनकी ज़ियारत के लिए सभी कौम के लोग बडी दूर – दूर से तशरीफ़ लाते है और फ़ेज़ हासिल करते है। इस दरगाह का जो मेन गेट है वह निज़ाम गेट के नाम से जाना जाता है और आखिरी गेट बुलन्द दरवाजे के नाम से याद किया जाता है। यहाँ का सुरमा बड़ा मशहूर है जिसे लोग दर्रे अरब के नाम से याद करते है।
मशहूर पर्यटक स्थल –
1) तारागढ़ – यह दुर्ग राजस्थान के मध्य भाग में स्थित है जिस पर चढ़ने के लिए लगभग 1 घण्टा 45 मिनट का समय लगता है |
इस दुर्ग का पुनः निर्माण पृथ्वीराज सिसोदिया राजकुमार ने करवाकर
इसका नाम पत्नी तारा के नाम पर तारागढ़ रख दिया गया। इस दुर्ग के अन्दर 6 दरवाजे है जिन्हें कई नामो से जाना जाता है। इस दुर्ग पर भी कई आक्रमण हुए फिर भी आज़ यह सुरक्षित जैसा नज़र आता है |
किले पर स्थित मज़ार शरीफ़ –
- हज़रत जिन्दा शाह वली रह… अलेह |
* हज़रत सूफ़ी शाह मोहम्मद इब्राहिम रह… अलेह.
* हुज़ूर गोसे पाक पीराने पीर दस्तगीर व इनके पोते का मज़ारे अक़दस - हज़रत सय्यद भोलन शहीद रह… अलेह. ( जो एक हज़रत मीरां सय्यद हुसैन की फ़ौज के सीपा – सालार थे आप शहीद होने के बाद आप को ग़रीब नवाज़ ने मदफून किया |
मज़ारे अक़दस – सय्यद जाफर हुसैन - घोड़े की मज़ार – ( जहाँ पर दाल चढ़ाई जाती है | )
हज़रत मीरां सय्यद हुसैन रह… अलेह. ( यहाँ पर सफेद कपड़े की चादर पेश की जाती है ) - अजयपाल जादूगर – ( जो उस जमाने मे हिंदुस्तान का सबसे बड़ा जादूगर माना जाता था ) द्वारा भेजा गया पत्थर जो आज भी तारागढ़ पर मौजूद है | जिसे गरीब नवाज़ ने उंगली और घोड़े के इशारे से रोका ऐसी करामातें देखकर इसने भी इस्लाम कुबूल किया और इसका नाम गरीब नवाज़ ने अब्दुल्लाह रखा
- मामू भांजे का मज़ार
- दरगाह – मीठा नीम वाले बाबा – ( जहाँ पर एक मीठा नीम का पेड़ है कहते है कि उस नीम की पत्तियों से बेमारी शफ़ा होती है| )
- यहाँ पर लगभग 12 हज़ार शहीदो के मज़ार है जो आज भी मौजूद है |
- अढाई दिन का झोपड़ा
इस पर जो नक्काशी कि गई है वह बहुत बारीकी से की गई है जो आज के ज़माने में शायद ही कोई कर सकता हो
इसके अन्दर एक संगमरमर का मेहराब बना हुआ है जिस पर कुरआन की आयत ( आयतल कुर्सी ) लिखी हुई है और बाहरी गेट पर मुख़्तसर आयते लिखी हुई है | - दरगाह के अन्दर मस्जिद, सन्दल खाना |
- दरगाह के बाहर मन्दिर _जैन मन्दिर – सोंनजी का मन्दिर
- आना – सागर – जो एक 12 वी सदी का पर्यटक स्थल है जिसका निर्माण अर्णोराज ने कर वाया
- दौलत बाग़ -( दौलत खाना ) – इसका निर्माण अकबर ने कर वाया इसका बाहरी मुख्य गेट जहांगीरी दरवाजे के नाम से जाना जाता है |
वगैरह….
Shah Rukh (Golu)
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