अंत भला तो सब भला
आरंभ भला तो सब भला
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शनिवार से शुरू हुआ 2022 , शनिवार को के दिन ही विदा हुआ और एक नये दिन रविवार से नये अंग्रेज़ी साल 2023 का आगमन हुआ । कैलेंडर के इस क्रमानुसार दुनिया अनवरत चलती रहती है । जहां से , जैसे शुरुआत शुरू करते है अंत भी लगभग वैसे ही होता है । 2023 की शुरुआत अगर रविवार से है तो इसका समापन भी रविवार से ही होगा और फिर एक नये दिन से नये साल का आगमन होगा ।
शुरू और अंत के इस चक्र को समझिए । जैसा हम करते है वैसा ही अंत में प्राप्त करते है । साल अंग्रेज़ी हो या हिन्दी ,उर्दू हो या फ़ारसी , सब अपने अपने हिसाब से नये साल की आगमन की तैयारियाँ करते है ,लेकिन अक्सर लोग इन सालों का महत्व नहीं समझते है । जो लोग पुराने साल को पार कर अगले साल में प्रवेश कर गये है ये उनके लिये ख़ुशी की बात है लेकिन इस ख़ुशी को केवल नये साल के रूप में मना लेना ही प्रयाप्त नहीं है । अपने अपने नये साल के अनुसार लोगो को जो गुज़रा उसपर मनन करना चाहिए और जो अब तक वो नहीं कर सके है उन्हें पूरा करने कि योजना पर काम करना चाहिये ।नए साल का क्या है एक गया है दूसरा आ गया और देखते ही देखते ये भी चला जाएगा लेकिन जो हमारे निर्धारित लक्ष्य है अगर उन कर काम नहीं किया गया तो ना जाने कितने साल आयेंगे और चले जाएँगे ।
जिस दिन से साल शुरू हो रहा है उसी पर ख़त्म हो रहा है यानि इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि हम जो कर्म करेंगे अंत में उसी प्रकार का फल प्राप्त करेंगे ।अगर अच्छा किया तो अंत में अच्छा प्राप्त करेंगे और बुरा किया तो बुरा ।
बहुचर्चित मुहावरा “अंत भला तो सब भला “ को इस तरह आगे बढ़ा कर नयी शुरुआत की जा सकती है ।
“अंत भला तो सब भला
आरंभ भला तो सब भला “
– नासिर शाह (सूफ़ी )
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