सूफ़ी की कलम से… ✍️
रीट की तैयारी कैसे करें?
आम तौर पर समाज में शिक्षक की नौकरी को अत्यधिक पंसद किया जाता रहा है। यह एक ऐसी नौकरी होती है जिसमें जिम्मेदारीयां भले ही अधिक होती है लेकिन उन्हें पूरा करना, अन्य नौकरियों की अपेक्षा सरल होता है। आकर्षक वेतन से लेकर सामाजिक प्रतिष्ठा तक, एक शिक्षक की नौकरी में सब कुछ मिल जाता है। आज हम तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा राजस्थान, पर चर्चा करेंगे और जानेंगे की इसमें चयन किस तरह कराया जा सकता है।
प्रथम एंव द्वितीय स्तर
तृतीय श्रेणी अध्यापक में दो तरह के अध्यापक होते हैं जिन्हें प्रथम (कक्षा 1-5) एंव द्वितीय स्तर (कक्षा 6-8) के नाम से जाना जाता है। प्रथम स्तर के शिक्षकों के लिए बीएसटीसी की योग्यता अनिवार्य है जबकि द्वितीय स्तर के लिए बीएड होना या बीएसटीसी के साथ स्नातक होना अनिवार्य है। पदनाम भले ही अलग अलग है लेकिन इनको मिलने वाले वेतन, भत्ते सब समान है।
रीट परीक्षा
राजस्थान में शिक्षक बनने के लिए बीएसटीसी और बीएड के बाद, रीट के माध्यम से शिक्षक भर्ती संपन्न करवाई जाती है, जिसका आयोजन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर, करता रहा है। प्रत्येक अभ्यर्थी को रीट परीक्षा में साठ प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है लेकिन आरक्षित वर्गो को नियमानुसार छूट मिलती है। रीट परीक्षा के बाद, पदों की संख्या के आधार पर, रीट के प्राप्तांको की कट ऑफ जारी करके, शिक्षकों का चयन किया जाता है।
द्वितीय स्तर के अभ्यर्थियों के लिए रीट का नब्बे प्रतिशत एंव स्नातक के दस प्रतिशत वैटेज शामिल करके शिक्षकों का चयन किया जाता है। पूर्व में सत्तर, तीस के आधार पर चयन किया गया था।
रीट पाठ्यक्रम
प्रथम स्तर – राजस्थान में रीट का पाठ्यक्रम हमेशा एक ही रहा है, जिसमें बाल विकास एंव शिक्षण विधियाँ , दो भाषायें (ऐच्छिक), गणित और पर्यावरण विषयों पर आधारित एक सो पचास प्रश्न पूछे जाते हैं।
द्वितीय स्तर – द्वितीय स्तर का प्रश्न पत्र, बाल विकास एंव शिक्षण विधियाँ , दो भाषायें (ऐच्छिक), और सामान्य ज्ञान पर आधारित होता है। गणित और विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए सामान्य ज्ञान के स्थान पर विषय आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। यह भाग भी एक सो पचास अंकों का होता है और दोनों ही स्तर के प्रश्न पत्रों में ऋणात्मक अंकन नहीं होता है।
आइए जानते हैं कि रीट परीक्षा का पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रम का चयन एंव उसमें सफ़लता के लिए कैसे तैयारी करे :-
बाल विकास एंव शिक्षण विधियाँ
बाल विकास एंव शिक्षण विधियाँ ही रीट परीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो अभ्यर्थियों का चयन कराता है या चयन से वंचित कराता है। यह दोनों ही स्तर के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा का पहला भाग होता है। इस हिस्से को रीट परीक्षा की रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है, इसलिए इस विषय को गंभीरता से ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा। इस विषय को आप कभी रटकर उत्तीर्ण नहीं कर सकते। इसमे अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए आपको बारीकी से समझ कर याद करना होगा, तब जाकर आप एक भावी शिक्षक बनने में सफल हो सकते हैं। इस विषय में भूलने और उलझने की प्रवृत्ति अधिक होती है, इसलिए इस विषय को मनोवैज्ञानिक सोच के साथ पढ़े और स्थायी रूप से याद करने के लिए बार बार रिविजन करते रहे।
इस विषय को कवर करने के लिए एक या दो किताबें ही प्रर्याप्त है, लेकिन मॉडल पेपर अधिक से अधिक किताबों के सॉल्व करते रहे। मनोविज्ञान पढ़ते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखे कि पढ़े हुए मे से सिर्फ पचास फीसदी प्रश्न ही हूबहु आयेंगे, शेष पचास फीसदी मनोविज्ञान के कॉन्सेप्ट पर आधारित होंगे, जो आपने पढ़े तो नहीं होंगे लेकिन जो सिद्धांत पढ़े होंगे, उसी के आधार पर उनका उत्तर छांटना होगा। रीट परीक्षा का स्कोर बढ़ाने के लिए इस भाग में आपके पच्चीस या अधिक प्रश्न सही होना चाहिए।
भाषाओं का चयन
रीट परीक्षा में आने वाली दोनों भाषाओं के प्रश्न तो अपेक्षाकृत सरल होते हैं लेकिन वो दो भाषायें कौन कौनसी हो और उनका सही क्रम क्या हो, ये चुनना हमेशा मुश्किल होता है। इस कारण कई छात्र प्रर्याप्त तैयारी के बाद भी असफल रह जाते हैं।
अगर आप द्वितीय स्तर की तैयारी कर रहे हैं और आप कला संकाय के अभ्यर्थी हो तो, सर्वप्रथम आपको ये देखना होगा कि आपके स्नातक स्तर में कौन कौनसी भाषायें रही है। यदि आपके पास स्नातक स्तर मे एक या दो भाषाएं ऐच्छिक भाषा के रूप में रही है तो फिर आपको अनिवार्य रूप से उन्हीं भाषाओं का चयन करना होगा, अन्यथा आप उन भाषाओं के शिक्षक बनने के लिए अपात्र घोषित कर दिए जाओगे। यदि आपके पास स्नातक स्तर पर कोई ऐच्छिक भाषा नहीं है तो फिर आप रीट परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम में दी गई कोई सी भी दो भाषाओं का चुनाव कर सकते हैं।
रीट के पाठ्यक्रम में पहली भाषा का स्तर, दूसरी भाषा के मुकाबले में सरल होता है, लेकिन आप दोनों भाषाओं के दोनों तरह के स्तरों का पाठ्यक्रम ध्यानपूर्वक पढ़े, फिर अपनी रुचि अनुसार भाषा का क्रम चुने। भाषा चयन की छोटी सी चूक आपकी तैयारी प्रभावित कर सकती है।
उदाहरण के तौर पर आपको एक भाषा हिंदी और दूसरी अँग्रेजी लेनी है तो आप हिन्दी भाषा के दोनों स्तरों का पाठ्यक्रम देखे, उसके बाद अँग्रेजी का भी, फिर भाषा क्रम निर्धारण करें। ज्यादातर अभ्यर्थी असमंजस में रहते हैं कि हिन्दी शिक्षक बनने के लिए पहली हिन्दी और अंग्रजी वालों के लिए पहली भाषा अँग्रेजी चुनना अनिवार्य है, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है। इसलिए आप भ्रमित ना हो और अपनी रुचि अनुसार भाषाओ का क्रम निर्धारित करें।
भाषाओं की तैयारी
हिन्दी हो या अँग्रेजी, उर्दू हो या संस्कृत, आपको सभी भाषाओं का व्याकरण ज्ञान होना अनिवार्य है। चूंकि दोनों भाषाओं का स्तर सरल होता है तो इन दोनों भागों में 60 मे से 55 या इससे अधिक अंक आपके स्कोर कार्ड मे वृद्धि करेगा। वैसे तो व्याकरण ज्ञान ही आपके लिए महत्तवपूर्ण है लेकिन साथ ही गधांश, पधांश और शिक्षण विधियों को हल करने का कौशल भी आपको इस भाग में दिखाना होगा।
गणित
यह भाग केवल प्रथम स्तर के अभ्यर्थियों के लिए है। इसमे भी 30 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें सामान्य गणित और सामान्य विज्ञान सहित दोनों विषयों पर आधारित शिक्षण विधियाँ पूछी जाती है। गणित के प्रश्नों का स्तर प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक होता है। कई अभ्यर्थी गणित का स्तर केवल प्राथमिक स्तर का समझकर उतनी ही तैयारी करते हैं, क्योंकि पाठ्यक्रम में भी प्राथमिक स्तर की गणित ही लिखा होता है, लेकिन प्रायः रीट परीक्षा में माध्यमिक स्तर के सवाल भी पूछे जाते रहे हैं। इसलिए आप भी माध्यमिक स्तर तक की गणित की तैयारी पूर्ण रखे।
यदि आपके पास समय कम है या गणित के कठिन प्रश्न करने में असमर्थ है तो भी निराश ना हो और गणित विषय की शिक्षण विधियों पर फोकस करे और दूसरे भागों में स्कोर बढ़ाकर भी आप सिलेक्शन पा सकते हैं।
गणित और विज्ञान
यह भाग द्वितीय स्तर के उन अभ्यर्थियों के लिए होता है, जिनको गणित एंव विज्ञान विषय का अध्यापक बनना होता है। इस भाग में भी कला अभ्यर्थियों के भाग चार के भांति साठ प्रश्न पूछे जाते हैं। गणित एंव विज्ञान विषय का अध्यापक बनने के लिए अभ्यर्थियों के पास स्नातक स्तर पर गणित या विज्ञान विषय अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा में गणित एंव विज्ञान विषय की श्रेणी एक ही होती है, इस कारण इनके पदो का वर्गीकरण नहीं होता है और दोनों विषय के अभ्यर्थी संयुक्त रूप से इसमे भाग्य आजमाते है। इस भाग में गणित के सवाल, विभिन्न स्तरों का सामान्य विज्ञान एंव दोनों विषयों पर आधारित शिक्षण विधियों के प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रायः ऐसा समझा जाता है कि विज्ञान विषय के अभ्यर्थियों को यह भाग करने में आसानी होती है, क्योंकि विज्ञान विषय के होने के कारण विज्ञान के पूरे प्रश्न आसानी से कर सकते हैं और उनकी गणित भी अच्छी होती है, इसलिए उनके लिए स्कोर बढ़ाना थोड़ा आसान होता है। दूसरी और गणित वालों को गणित में तो कोई परेशानी नहीं होती लेकिन विज्ञान विषय में थोड़ी परेशानी होती है लेकिन नियमित रूप से मेहनत पर वह भी विज्ञान वालों के बराबर आसानी से स्कोर कर सकते हैं।
प्रर्यावरण अध्ययन
यह भाग केवल प्रथम स्तर के अभ्यर्थियों के लिए है। इस भाग में प्रर्यावरण विषय की शिक्षण विधियाँ एंव राजस्थान के सामान्य ज्ञान (जीके) पर आधारित कुल 30 प्रश्न पूछे जाते हैं। मनोविज्ञान के बाद यही भाग अभ्यर्थियों के लिए चुनौती भरा होता है, क्योंकि इसमे पूछी जाने वाली शिक्षण विधियाँ तो पाठ्यक्रम का हिस्सा होती है लेकिन सामान्य ज्ञान वाला भाग थोड़ा परेशान करने वाला होता है। हालांकि सामान्य ज्ञान काफी सरल स्तर का होता है लेकिन बारीकी से पूछा जाता है इसलिए इस भाग हेतु आपको सजग रहना चाहिए। इस भाग को मजबूत करने के लिए आप कक्षा एक से आठ तक की प्रर्यावरण एंव सामाजिक विज्ञान की किताबों का अध्ययन करें।
सामान्य ज्ञान (द्वितीय स्तर)
इस भाग में द्वितीय स्तर के अभ्यर्थियों (गणित एंव विज्ञान के अतिरिक्त) के लिए, राजस्थान एंव भारत के सामान्य ज्ञान पर आधारित कुल साठ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनमें सामाजिक विज्ञान की शिक्षण विधियों पर आधारित प्रश्न भी शामिल होते हैं। यहाँ प्रश्नो का स्तर उच्च माध्यमिक स्तर का होता है इसलिए आपको इस भाग में अत्यधिक मेहनत की आवश्यकता होती है और फिर इसमें प्रश्नों की संख्या भी साठ होती है तो यह हिस्सा ही आपकी सफ़लता और असफलता तय करता है। इस भाग में अच्छे अंक प्राप्त करने हेतु आपको प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक की प्रर्यावरण एंव सामजिक विज्ञान की किताबों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। नए सिलेबस के अनुसार इस भाग में राजस्थान के सामान्य ज्ञान की बढ़ोतरी की गई है और एक बिल्कुल नया टॉपिक ‘बीमा एंव बैंकिंग प्रणाली’ भी जोड़ा गया है जो पढ़ने में भी रूचिकर है और दैनिक जीवन में काम आने वाला भी।
दोनों स्तर वालों के लिए नए पाठयक्रम में कई पुराने टॉपिक हटाकर नए जोड़े गए हैं, इसलिए पहले से प्रकाशित किताबों के भरोसे ना बैठे रहे और नए पाठ्यक्रम के अनुसार तैयारी करे।
अच्छी गाइड एंव अच्छे विशेषज्ञ के नोट्स का प्रयोग कर इस भाग को मजबूत कर सकते हैं।
तैयारी हेतु महत्वपूर्ण टिप्स
इच्छा शक्ति
प्रायः देखा जाता है कि, कई अभ्यर्थी बनना कुछ और चाहते थे लेकिन स्नातक के बाद, मनपसंद क्षेत्र में असफल होने पर, दूसरों की सलाह में आकर बीएड कर लेते हैं, और फिर शॉर्टकट तरीके से शिक्षक बनने का प्रयास करते हैं, जिसमें उन्हें लगभग असफ़लता ही मिलती है। एक सफल शिक्षक बनने के लिए सबसे पहले आपको मानसिक रूप से तैयार होना पड़ेगा और मन, मस्तिष्क में शिक्षक बनने की दृढ़ इच्छा शक्ति पालते हुए ही रीट परीक्षा की तैयारी करनी होगी, तब जाकर आपके हिस्से में कामयाबी आएगी।
एकाग्रता
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में आजकल अभ्यर्थी, एक ही समय में, कई भर्ती परीक्षाओं में एक साथ आवेदन करते हैं, और एक साथ, एक ही समय में सब परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं। परिणामस्वरूप वह एक भी परीक्षा में पूर्णतया सफल नहीं हो पाते और तैयारी करते रहने के बावजूद भी कुछ अंकों से असफल रह जाते हैं। इसलिए सर्वप्रथम आपको सिर्फ एक परीक्षा (रीट) पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके अलावा अगर आप अन्य जॉब के साथ साथ रीट की तैयारी कर रहे हैं तो भी आपकी राह मुश्किल होगी, बल्कि हो सकता है नामुमकिन भी हो जाए, इसलिए कम से कम छह माह का समय आपको रीट परीक्षा के लिए ही आरक्षित रखना होगा। अगर परीक्षा होने में छह माह से कम समय बचा हो तो भी निराश ना हो और अपनी तैयारी जारी रखे, हो सकता है आपकी ज्यादा मेहनत आपको लक्ष्य तक ले जाए या परीक्षा तिथि ही आगे बढ़ जाए, इसलिए समय कम होने का बहाना बनाने की जगह निरंतर मेहनत करते जाए।
प्रैक्टिस
अगर आप रीट परीक्षा के लिए एक साल या इससे भी अधिक समय से तैयारी कर रहे हैं और बिना प्रैक्टिस सेट सॉल्व किए सीधे पेपर देने जा रहे हो तो सावधान हो जाए। बिना मॉडल पेपर सॉल्व किए पेपर देना आपको तैयारी होते हुए भी मुश्किल में ड़ाल सकता है। रीट परीक्षा की तैयारी के प्रारंभ में, आप दो से तीन महीने में प्रथम बार कोर्स पूर्ण कीजिए, उसके बाद नियमित रूप से दो या तीन (समयानुसार) मॉडल पेपर सॉल्व करते रहिए, साथ ही शेष समय में पूर्ण किए गए कोर्स का रिविजन जारी रखे। यह स्मरण रखे कि आपका अध्ययन कितना ही गहन क्यों न रहा हो लेकिन रिविजन के बिना अधूरा है और कितने ही समय की तैयारी हो लेकिन बिना प्रैक्टिस के वह भी अधूरी ही है, इसलिए रिविजन और प्रैक्टिस सेट को रीट तैयारी का महत्तवपूर्ण हिस्सा बनायें।
सयंम
सामान्यतः राजस्थान में भर्तियों के निकलने से लेकर पूर्ण होने में काफी समय लग जाता है, इसलिए आपको संयम रखना होगा। जल्दबाजी, आपको प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेल सकती है। अधिसूचना जारी हो ना हो, परीक्षा तिथि घोषित हो ना हो, या तिथि घोषित होने के बाद मामला कोर्ट में जाए या ना जाए लेकिन आपका लक्ष्य निश्चित होना चाहिए, क्योंकि सब्र का फल मीठा ही नहीं स्वादिष्ट भी होता है।
आपको हमारा ये आर्टिकल कैसा लगा? कमेन्ट बॉक्स में अपनी राय या जो भी सवाल हो दर्ज कराए। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
– नासिर शाह (सूफ़ी)
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- नासिर शाह (सूफ़ी)
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