केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत द्वारा फोन टेपिंग मामले को लेकर दिल्ली मे दर्ज एफआईआर कराने के बाद राजनीति गरमाई (गेस्ट ब्लॉगर अशफ़ाक कायमखानी)

Sufi Ki Kalam Se

केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत द्वारा फोन टेपिंग मामले को लेकर दिल्ली मे दर्ज एफआईआर कराने के बाद राजनीति गरमाई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने एफआईआर को नौटंकी एवं षडयंत्र बताया।
गेस्ट ब्लॉगर अशफ़ाक कायमखानी
जयपुर


राजस्थान मे फोन टेपिंग मामले को लेकर विधानसभा मे भाजपा सदस्यों द्वारा गहलोट सरकार को घेरने के बाद सरकार द्वारा किसी राजनेता का फोन टेप नही करने के कहने के बावजूद मामला अभी पुरी तरह शांत नही हो पाया है। इसी के मध्य केन्द्रीय मंत्री व भाजपा नेता गजेन्द्र शेखावत द्वारा उक्त फोन टेपिंग मामले को लेकर दिल्ली मे एक एफआईआर दर्ज कराने के बाद राजस्थान की राजनीति गरमा गई है।
दिल्ली मे एफआईआर दर्ज होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री डोटासरा ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के फोन टैपिंग मामले में दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराने को नौंटंकी एवं षडयंत्र करार देते हुए कहा है कि उन्हें अपनी आवाज का नमूना देना चाहिए ताकि सच बाहर आ सके।
डोटासरा ने शेखावत के दिल्ली में फोन टैपिंग मामले को लेकर मामला दर्ज कराने की खबरों के बाद आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शेखावत मामले के आठ महीने बाद अब एफआईआर क्यों दर्ज कराई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा में नैतिकता नहीं बची हैं और फिर षडयंत्र रचा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले भी दिल्ली से ही साजिश रची गई और अब भी दिल्ली से ही साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि जब इस मामलेे मेंं श्री शेखावत का नाम आया था और उन पर आरोप लगे थे, उसी समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनसे मंत्री पद से इस्तीफा ले लेना चाहिए था लेकिन न तो प्रधानमंत्री ने इस्तीफा लिया और न ही शेखावत ने नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि वह पूछना चाहते हैं कि अब किस नैतिकता के आधार पर एफआईआर दर्ज करा रहे हैं।


डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 14 अगस्त को विधानसभा में स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश में किसी जनप्रतिनिधि का फोन टैैप नहीं हुआ हैं। इस पर कोई सवाल नहीं उठा। अब एफआईआर दर्ज कराने का क्या मकसद है। उन्होंने कहा कि हमारे पास तथ्य हैं और उसी आधार पर बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि श्री शेखावत को चाहिए कि वह राजस्थान आकर अपना वॉयस सैम्पल पुलिस को दे।
उन्होंने कहा कि राज्य की जनता के विश्वास से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी हैं और वह न केवल पूरे पांच साल पूरा करेगी बल्कि आगे आने वाले समय में और पांच साल के लिए कांग्रेस की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज कराकर इस तरह नौटंकी नहीं की जानी चाहिए। ऐसा करके राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाह रहे हैं तो ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि श्री शेखावत को चाहिए कि वह पुलिस को कहे कि उसे उनसे क्या चाहिए, यह आवाज मेरी नहीं नहीं थी, मैंने कोई षडयंत्र नहीं किया हैं। लेकिन जांच में बिना सहयोग किए अपने आप को पाक साफ साबित करने की कुचेष्टा की जा रही है। ऐसा होने वाला नहीं हैं।
उधर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मीडिया से कहा कि शेखावत मामला सामने आने के इतने दिनों बाद अब जागे हैं और दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई हैं। यह उनका दिल्ली में कोई षडयंत्र लगता हैं। उन्होंने कहा कि श्री शेखावत को राजस्थान की सरकार से कोई तकलीफ थी तो वे जयपुर में मामला दर्ज कराते। जिस दिन यह मामला सामने आया उस समय एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई।
सरकारी मुख्य सचेतक डा महेश जोशी ने कहा कि यह एफआईआर साजिश का हिस्सा हो सकती है। उन्होंने कहा कि एफआईआर की कॉपी मिल जाये, उसमें क्या रुख आता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इससे विचलित नहीं हैं क्योंकि हमने जो भी किया, वह कानून के हिसाब से किया है।
पीछले साल कांग्रेस के कुछ विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नीतियों का विरोध करते हुये गुडगांव की एक होटल मे डेरा डालकर बैठ गये थे। उनमे से एक विधायक भंवरलाल शर्मा व केन्द्रीय मंत्री शेखावत के मध्य हुई बातो को लेकर आडियो टेप चर्चा मे आने के बाद शेखावत पर गहलोत सरकार गिराने की चेष्टा करने के आरोप लगे थे। एवं मामला भी दर्ज हुवा था।
कुल मिलाकर यह है कि गहलोत सरकार के खिलाफ एक तरफ कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के अंदर व बाहर मोर्चा खोल रखा है। दुसरी तरफ पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता दुर्रु मियां के घर पर मुस्लिम समुदाय के वर्तमान व पूर्व विधायकों सहित अनेक नेताओं ने बैठक करके गहलोत पर दवाब बनाया है।राजनीतिक पंडित बताते है कि पांच राज्यों मे चुनाव सम्पन्न होने के बाद राजस्थान की राजनीति मे अनेक तरह के बदलाव आ सकते है।

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