‘सोशल मिडिया और हमारा  रवैया” (गेस्ट ब्लॉगर मोलाना  मुहम्मद अख्तर नदमी कासमी)

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सोशल मिडिया और हमारा  रवैया – गेस्ट ब्लॉगर मोलाना  मुहम्म्द अख्तर नदमी कासमी  (सदर  :-  तहफ्फुज-ए- शरिअत  कमेटी  बाराँ )

सोशल  मिडिया  संचार  की  दुनिया  मे  एक  क्रांति  है।  यह  वह  माध्यम  है,   जो तकरीबन  हर  आदमी  के हाथो  में  मोजूद  है।  हर  वह  आदमी  जो  सोशल  साईटस  का  इस्तमाल  करता  है।  वह  जरूर  न्यूज, धार्मिक व  सामाजिक  मेसेजेस  देखता  ,पढता  और  सुनता  है। मेसेजेस  को लाइक कमेन्ट्स  और  फार्वर्ड  के  सिलसिले  मे  तीन  प्रकार  के  लोग होते  है।   पहले  लोग वह  होते  है  जो मेसेजेस  को सिर्फ देखते  ,  पढ़ते  और  सुनते है।  वह  ना  फार्वर्ड  करते  है, ना लाईक कमेन्ट्स।    दुसरे  वह  होते है, जो  बगेर  सोचे  समझे लाइक ,  कमेन्टस  और  फार्वर्ड  करते  रहते है। लेकिन  वही  तीसरी  किस्म  के  लोग वह  होते  है, जो  खुद  मेसेजेस बनाते  है और  शेयर  करते  है।  ये मुखलिस  व  मुसलह  होते  है, और  मफाद  परस्त व  बिगाड़  पैदा  करने वाले भी । ये  किराए  पर  खरीदे  हुए  भी  हो सकते  है और  फ्रि  आफ  कॉस्ट  काम करने  वाले  भी ।

  अब  हम  बात  करते है।  मेसेजेस  के  सिलसिले  मे  लोगो  के  रवैयये की  मेसेजेस  देखने  पढ़ने  ओर  लाईक फार्वर्ड का  ताल्लुक। लोगो की  सोच  ,  मिजाज  और  जिस  गुप्र से  वह  जुड़े  हुऐ है   पर  डिपेन्ड  करता  है  कुछ  लोगो का  खालिस  दीनी  मिजाज  होता  है, तो  वह  सिर्फ दीनी  मेसेजेस  ,  कुरआन  की  आयत, हदीस  ,वाकियात  ,  दुआऐ  वगैरह  ही  देखना  ,सुनना  लाईक और  फार्वर्ड  करना  पसन्द  करते  है।  अगर  कोई साथी  इनके मिजाज  के  खिलाफ  कोई  मेसेज  भेज  दे  तो यह  सख्त  कमेन्टस  करते नजर  आते है।  ये  बात अलग  है  कि  बीच-बीच  मे  अगर  कोई  अश्लील  मेसेज  नजर  आ  जाऐ  तो शायद  इतने नाराज ना  हो । कुछ  बगेर  जाने  समझे  इस  तरह  के  दीनी  मेसेजेस  करते हे,   कि  इन्हे  फार्वर्ड  किया  जाऐ  नही  तो ये होगा  वह  होगा और  कसमे  दिलवाते  है।  हालांकि  ऐसे  लोगो  का  अमल  से  कम  ही  वास्ता  होता  है।   कुछ  लोग कॉमेडी  और  नाच  गाने के  मेसेजेस देखने  पढ़ने  मे  अपना  वक्त  बरबाद  करते रहते  है।   कुछ    बदबख्त  वह  भी  होते  हे, जो  अश्लील  व  गन्दे  मेसेजेस  देख  और  सुनकर  और  फार्वर्ड  कर  के  खुद अपनी  और  माशरे की  बिगाड़  का  जरिया बनते  है।   कुछ  बगैरत  लोग वह  भी  होते है।  जो अपने  घर  वालो  के  नीजी  प्रोग्रामो  के  फोटोज  व  मेसेजेस  भेज कर  फख्र महसुस  करते है।   ल्ेकिन  कुछ  लोग  मोटीवेशन  ,  नेतिक शिक्षा  वाले  किसी  की  मदद  पर  उभारने  वाले  मेसेजेस  पर  लाईक कमेन्ट्स  और  फार्वर्ड  करके ये  समझते है कि  हमने  बहुत  बड़ा  काम  किया है,  और  कुछ  लोग वह  होते  है।  जो अपने मेसेजेस पर  अपने  हल्के  और  मुरीद  लोगो के लाइक कमेन्टस और  फार्वर्ड  पर  बडे़ खुश होते है।  और  वह  यह  समझ  रहे  होते  है।  कि  पूरी  दुनिया उन  के  मेसेजेस को  पसन्द कर  रही  है और  वह  एक  अजीब  तरह  के  घमण्ड  मे  मुब्तिला  हो  जाते  है। इन  सब  के  अलावा  कुछ  सबसे  खास  लोग वह  होते है।  जो लोगो की  जहन  साजी  करने  वाले  फिक्र बनाने  वाले  नेक  काम पर  लोगो को उभारने  वाले मेसेजेस खुद  भी  बनाते है ओर फार्वर्ड  भी  करते  है।  वह  इस बात  की  बिल्कुल  भी  परवाह  नही  करते  है  कि  उन्हें  कितने  लाईक ,  कमेन्टस  मिल  रहे है,  और  कितने  लोग  इन मेसेजेस  को फार्वर्ड  कर  रहे  है।  इस  मामले  मे  वह  किसी  की  खुशी  और  नाराजगी  की  भी  परवाह  नही  करते बल्कि  वह  अपने हिस्से का  काम करते रहते  है।  और  हमे  इन्ही  लोगो मे  होना  चाहिऐ।

गेस्ट ब्लॉगर मोलाना  मुहम्मद अख्तर नदमी कासमी


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