कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
एक सामान्य शिक्षक से RAS बनने तक का पूरा सफर…
किसने सोचा था कि एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाला एक सामान्य ग्रामीण शिक्षक एक दिन RAS बनकर अपने सपनों को पूरा कर लेगा वो भी एक नहीं तीन तीन बार। जी हां सही सुना आपने, आज हम एक ऐसे युवक की बात कर रहे हैं जिसने ना सिर्फ तीन बार RAS उत्तीर्ण की बल्कि उससे पूर्व भी कई महत्तवपूर्ण परीक्षाएं उत्तीर्ण कर अनेक विभागों में सेवायें भी दी। एक सामान्य ग्रामीण परिवार से ताल्लुक रखने वाले उस मेहनती युवक का नाम मंजूर अली दीवान है जो कोटा जिले के इटावा कस्बे के रहने वाले हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि :-
मंजूर अली दीवान के पिता इस्हाक मोहम्मद है जो रिटायर्ड व्याख्याता और माता जरीना बेगम गृहिणी है। दीवान इटावा के पूर्व शहरकाजी मरहूम वली मोहम्मद जी के पोते है। इनके एक भाई हकीम दीवान वरिष्ठ अध्यापक है तो इनके चाचा शहजाद दीवान राजनीति एंव सामाजिक कामों में सक्रिय पदाधिकारी है। इनकी पत्नि हिना दीवान सामान्य गृहणी जिन्होंने अपने पति को तैयारी करने में भरपूर सहयोग प्रदान किया।
शिक्षा – मंजूर अली दीवान प्रारंभ से ही इटावा के सरकारी विधालय में पढ़े है। उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा से विधालय में एक अलग मुकाम बनाया हुआ था जिसकी हर कोई सराहना करता है। स्थानीय राजकीय विधालय से पढ़ाई करके दीवान ने आठवीं (1998), दसवीं (2000) और बारहवीं बोर्ड (2002) की तीनों बड़ी परीक्षाओं में इटावा कस्बे में प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रारम्भ से ही अपना लोहा मनवा लिया था। उन्होंने विज्ञान संकाय से सीनीयर सैंकेडंरी परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण करके कोटा के राजकीय महाविद्यालय में प्रवेश लिया, जहां से साइंस बीएससी 60 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण किया। उसके बाद कोटा के ही मां भारती शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से बीएड किया।
मंजूर दीवान शिक्षक नहीं बनना चाहते थे लेकिन जानकारी और संसाधनो के अभाव में बीएड कर बेरोजगार हो गए। रोजगार की चिंता और घरवालों के दबाव में वापस गांव आकर निजी स्कूल में विज्ञान पढ़ाने लगे। करीब एक वर्ष तक अध्यापन कराते रहे लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा, लगता भी कैसे, यह काम उनकी इच्छा के अनुसार नहीं था ना ही उनका सपना। घर वालों से एक मौका मांग कर तैयारी के लिए कोटा निकल गए।
पहली जॉब :-
2009 में कोटा तैयारी करते हुए कुछ ही महीनों में इलाहाबाद बैंक में पीओ के पद पर उनका चयन हो गया। उनकी पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के बहरोइच में हुई लेकिन वहाँ भी नोकरी करते करते, RAS बनने के सपने उन्हें सोने नहीं देते थे। वह रात दिन बस यही सोचते कि कैसे अपने सपने को पूरा किया जाए?
दूसरी जॉब :-
बैंक में नोकरी के एक साल बाद ही 2010 में एसएससी सीजीएल में उनका चयन हुआ। उन्हें भारत के रक्षा मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के तौर पर दिल्ली में नियुक्ति मिली। लेकिन इस नोकरी के बाद भी उनकी ख्वाईश पूरी नहीं हुई थी क्यूंकि ये भी उनका सपना नहीं था। अब वो दिल्ली मे रहकर नोकरी के साथ साथ RAS की भी तैयारी करते हुए 2012 वाली RAS परीक्षा में शामिल हुए जिसका परिणाम जुलाई 2015 में जारी हुआ। उनकी रैंक 686 थी लेकिन रैंक कम होने की वजह से उन्हें मनपसंद विभाग नहीं मिला। थोड़े निराश हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी और 2013 में फिर आवेदन किया लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उसमें भी इच्छानुकूल कामयाबी नहीं मिली। अब मंजूर दीवान ने अपना सब कुछ झोंक कर RAS 2018 की तैयारी की और अपनी मेहनत और लगन के माध्यम से वो मकाम हासिल कर ही लिया जिसका उन्होंने सपना देखा था। RAS 2018 में 212 रैंक प्राप्त करने के बाद उन्हें अपनी पंसद का विभाग राजस्व विभाग भी मिल गया और अपने तीसरे प्रयास में तहसीलदार बनने का सपना भी पूरा हो गया।
मंजूर दीवान की कहानी हमे बताती है कि हमे जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो समय कितना ही लग जाये लेकिन एक दिन जीत निश्चित होती है। उनकी मेहनत और कामयाबी पर प्रसिद्द हिन्दी कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तिया बिल्कुल सटीक बैठती है –
कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
सूफ़ी की कलम से….
नासिर शाह (सूफ़ी)
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एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों”
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