पक्के मकानों की कच्ची बस्ती, रेहमत नगर, मागंरोल (गेस्ट ब्लॉगर आरिफ अरमान की शानदार रिपोर्ट )

Sufi Ki Kalam Se

गेस्ट ब्लॉगर आरिफ अरमान की शानदार रिपोर्ट

पक्के मकानों की कच्ची बस्ती रेहमत नगर
में मांगरोल जिला बारां राजस्थान का रहने वाला हूं, ओर मांगरोल कस्बे की उसी बस्ती में रहता हूं जहा पर मांगरोल का सबसे ज्यादा फैलाव देखने को मिल रहा है, परन्तु इस रहमत नगर की सच्चाई आप लोग नहीं जानते होगे,ओर आज में आपको उसी रहमत नगर की सच्चाई से आप सब लोगो को रूबरू करवाना चाहता हूं।


रहमत नगर का नाम इस कस्बे की मशहूर दाई रहमत के नाम पर रखा गया,पहले यहां दाई रहमत का एक अस्थाई घर था, ओर इसी के पास दाई रहमत जो कि शेख मुस्लिम समाज से आती थी उसी के पास शेखो का पुराना कब्रिस्तान था जो आज भी आपको वहा पर ही नजर आ जाएगा, आस पास फसलों से लहलहाते खेतो के बीच ये चंद मकान ओर कब्रिस्तान मनमोहक जगह के साथ ही खोफनाक भी लगती थी, लोग इस जगह पर रात को आने जाने से डरा करते थे, धीरे धीरे कस्बे की जनसंख्या तेज गति से बढ़ती गई, ओर जगह की मांग भी बढ़ती गई, इसी के साथ इस बस्ती में वो खेल शुरू हुआ जिसने इस बस्ती में अच्छे मकान तो बना दिए परन्तु मूलभूत सुविधाओं से लोगो को तरसता हुआ छोड़ दिया गया,


हुआ यूं कि कब्रिस्तान के आस पास के खेतों को कुछ प्रभावशाली लोगो ने खरीद कर अवैध रूप से प्लानिंग काटना शुरू कर दिया, लोग अपनी जरूरत के हिसाब से इन खेतों में कटी प्लानिंग को अपनी जिंदगी भर की कमाई से खरीदने लगे, यहां के अधिकारी प्लानिंग पर रोक नहीं लगाते ओर जो भी इन प्लानिंग में प्लाट खरीदकर मकान बनाना शुरू करता यहां के अधिकारियों के द्वारा उसको परेशान किया जाता, आज इस रहमत नगर में लगभग 5000 लोग निवास करते है, इस बस्ती में ना बिजली आती है, ना पानी की सही व्यवस्था है,ना सड़के है, नाही नालिया बनाई गई है, ना पार्क की व्यवस्था है, ना किसी सरकारी डिस्पेंसरी के लिए सरकारी जमीन है, ना किसी प्राथमिक विद्यालय के लिए जगह है,ना सामुदायिक भवन है जिसमें यहां के निवासी अपने बच्चों की शादी कर सके या कोई प्रोग्राम कर सके, आप समझ सकते है कि इस बस्ती को ओर यहां रहने वाले लोगों को किस दलदल में डाल दिया गया है ये लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा कर भी आज एक बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबुर है, अक्सर जब बारिश का मौसम आता है तो यहां के खाली प्लाटों में पानी भर जाता है, सड़के ओर नालिया ना होने से बाड़ का खतरा बना रहता है, लोगो का संपर्क कट जाता है, बेचने वालो ने इस खेती की जमीन में प्लाट काट करके इस तरह बेचे है कि प्रभावशाली और पैसे वालो ने कई प्लाटों को बेजरूरत खरीद लिए है, इस नियत से की महंगे दामो में बिकेंगे, इससे जिनको जरूरत होती है घर बनाने की, वो महंगाई की वजह से इन प्लाटों को नहीं खरीद पाते है ओर किराए के मकानों में अपना जीवन व्यतीत करते हुए नजर आते है,
जब बारिश होती है कच्चे रास्तों में कीचड़ होता है तो लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी परेशानी जताते है, ओर राजनेता आते है फोटो खिंचाते है, ओर कल से काम शुरू करवाने का झुटा वादा करके चले जाते है, वहीं परेशानी जस की तस बनी रहती है, लोग इसी तरह से जिंदगी जीते रहते है, ओर वो लोग इसी तरह से कृषि की जमीन खरीद कर अवैध रूप से प्लानिंग काटते रहते है, यहां ना प्रशासन है ना सरकार है, ना व्यवस्था है मानो जैसे अब किसी से अास ही नहीं है, ना कोई सुनता है,ना कोई सुनना चाहता है, ये रहमतनगर की एक दास्तां है।।

गेस्ट ब्लॉगर आरिफ अरमान
अध्यक्ष फ्रेटर्निटी मूवमेंट
मांगरोल


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