भाग- 7 “पैदल चलना “ “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 7 “पैदल चलना

अगर आप नई पीढ़ी के बच्चों से ये कहोगे कि कुछ सालों पहले की ही बात है जब स्कूल, कॉलेज तो छोड़ो खेत खलिहान तक पैदल जाया करते थे तो शायद वो यकीन नहीं करेंगे क्यूंकि उन्होंने पैदा होने के समय से ही घर में कई साधन देखे हैं । साल 2000 तक लोग इतने साधन 

संपन्न नहीं थे इसलिए ज्यादतर पैदल ही सफर किया करते थे। इक्कीसवीं सदी में दाखिल होते ही हर वर्ग के लोगो के पास यातायात के साधन उपलब्ध होने शुरू हो गए और अब तो ये हाल हैं कि घर में इंसान कम और साधन ज़्यादा हैं । यही कारण है कि आजकल के बच्चे अगर घर से सौ क़दम दूर भी जाना हो तो बाइक लेकर जाते हैं यकीन न हो तो मोहल्ले की डेरी से  दूध मंगवा कर देख लीजिए । पहले के लोगो की मजबूरी ही सही लेकिन वो पैदल चलते थे तो वह लोग तंदुरुस्त रहते थे और बिना किसी व्यायाम के भी बरसों अस्पताल का मुँह नहीं देखते थे । 

घर घर में साधन हो जाना अच्छी बात है इससे हमारे कई काम पलक झपकते ही हो जाते हैं जिससे हमारा समय और ऊर्जा दोनों बचते हैं लेकिन हर काम में इन पर निर्भरता ने समय तो बचाया लेकिन शरीर बिगाड कर रख दिया । अब हर छोटे से छोटा काम बाइक,कार या अन्य साधनों से होता हैं क्यूंकि नौजवान पीढ़ी का तो ये आलम हैं कि आटे का कट्टा छोड़ो ,सब्जी का थैला भी बिना बाइक के नहीं आता है । 

 इस ब्लॉग में पैदल चलने के फायदे बताने की ज़रूरत तो है नहीं क्योंकि इतनी बात तो हर शख़्स जानता है कि पैदल चलना इंसान को ऐक्टिव रखता है और कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है ।आज की पीढ़ी के युवा तो पैदल चलने वालो को देखकर यह समझते है की पेट कम करने के लिए घूम रहे है और कई कमअक्ल नौजवान तो ऐसे भी हैं जो पैदल चलने वालों को कंजूस समझते हुए छींटाकशी करते हैं की ये फ्यूल बचाने के चक्कर में पैदल चल रहे हैं । 

युवाओं की इस ग़लतफ़हमी की वजह से उन्हें जवानी में ही कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जबकि पहले के बच्चों से स्कूल,कोचिंग,दफ़्तर दूर होते हुए भी पैदल चलते थे। 

आए दिन समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया की रील्स तक में पैदल घूमने के फायदे बताए जाते हैं तो आइए कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर बढ़ते हुए पैदल चलने का इरादा करें । युवा पीढ़ी को पैदल चलने के लिए जागरूक करें उन्हें समझाये कि पैदल चलने से पेट ही कम नहीं होता बल्कि उम्र में इजाफा भी होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार भी होता है ।

एक सामान्य युवा को कम से कम दो किलोमीटर रोज पैदल चलना चाहिए और दो से पाँच किलोमीटर चल ले तो कहना ही क्या है! और  ना सिर्फ़ युवाओं को बल्कि हर उम्र के लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा पैदल चलने की आदत डालनी चाहिए ।तीव्र गलन वाली सर्दी में पैदल चलने की टाइमिंग का ध्यान भी रखना चाहिए । सुबह के समय कम से कम सात बजे बाद या मौसम साफ़ होने पर ही मॉर्निंग वॉक पर निकलें क्योंकि पिछले कुछ सालों में सर्दियों की सुबह में कई घटनाओं ने सर्दी की सुबह में मॉर्निंग वॉक करने वालों को सावधान रहने का संकेत दिया है । ज़्यादा तेज सर्दी में सुबह की जगह शाम के समय पैदल चलकर नियमितता बनाई जा सकती है । पैदल चलने के लिए व्यायाम या दौड़ जैसा टाइमटेबल बनाने की आवश्यकता भी नहीं है बल्कि जब मौका लगे तब ही पैदल चल कर डेली रूटीन को फॉलो किया जा सकता है ।  अगर आपको पैदल चलने के फायदों के बारे में पता नहीं हो तो आप जापान के लोगो पर किए गए अनुसंधान पढ़ सकते हैं जिनमें जापानी लोगों के लंबे जीवन जीने के रहस्य में पैदल चलना भी शामिल है । तो क्या सोच रहे हैं आप? आइए कुछ क़दम उल्टे चलकर अपने अपने साधनो को एक घंटे के लिए आराम करने दे और ख़ुद की सवारी करते हुए आधे से एक घंटे पैदल चलें ।  जैसे बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना हो या ख़ुद के कार्यस्थल पर या कोई भी छोटे मोटे काम हो तो बाइक की तरफ़ ना देखे और अपनी 11 नंबर (अपने दो पैर)वाहन की सवारी करें ।

मिलते है अगले भाग में 

आपका सूफ़ी 

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3 thoughts on “भाग- 7 “पैदल चलना “ “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

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