राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत निजी अस्पतालों में उपचार के लिए की गई कटौतियों के आदेश का शिक्षक संघ (शेखावत) ने किया विरोध
आदेश वापस लेने की सरकार से की मांग, आदेश वापस नहीं करने पर आन्दोलन की दी चेतावनी
कोटा*, 19 जून। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना के तहत निजी अस्पतालों में उपचार के लिए सरकार द्वारा जारी संशोधित आदेश दिनांक 7 जून 2024 का राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) ने विरोध किया है। जिलाध्यक्ष महेंद्र चौधरी और जिलामंत्री धनराज मीणा ने संयुक्त प्रैस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सरकारी कर्मचारी और पैंशनर निजी अस्पतालों में उपचार के दौरान 15 दिन के अन्दर एक ही जांच दोबारा नहीं करवा सकेंगे। यदि डाक्टर के द्वारा 15 दिन के अन्दर दोबारा जांच लिखी जाती है तो उन्हें अपनी जेब से नकद भुगतान करना पडेगा। कर्मचारी और पैंशनर एक दिन में एक से अधिक डाक्टरों से परामर्श तो ले सकते हैं लेकिन माह में अधिकतम 6 बार ही डाक्टरों से परामर्श लिया जा सकता है। इसी तरह पैकेज दरों के तहत इनडोर उपचार की अधिकतम अवधि विशेष उपचार के लिए 1 दिन, 3 दिन, 7 दिन और 12 दिन तय की गई है। मैडीकल मैनेजमेंट पैकेज के लिए अस्पताल में भर्ती की अवधि 5 दिन तय की है। मरीज के वेंटिलेटर या आईसीयू में होने पर अधिकतम 3 दिन की सीमा के साथ एक लाख रुपये तक का इलाज किया जा सकेगा। इसके बाद 3 दिन से अधिक परन्तु 5 दिन तक 3 लाख रुपये तक का इलाज मैडीकल कालेज/पीएमओ की सिफारिश पर, 5 दिन से अधिक परन्तु 7 दिन तक 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का इलाज मैडीकल कालेज के मैडीकल बोर्ड की सिफारिश पर तथा 7 दिन से अधिक 12 दिन तक 5 लाख से अधिक का इलाज डिवीजनल मैडीकल कालेज जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, कोटा, उदयपुर की सिफारिश पर उपचार किया जा सकेगा। कीमती दवाईयां और इम्प्लान्ट्स केवल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत संचालित मैडीकल कालेज तथा राजस्थान मैडीकल सर्विसेज कारपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) उपलब्ध करायेंगे। दरें एप्रूव्ड हास्पीटल की होंगी, यदि दरों में अन्तर है तो अन्तर की राशि मरीज को वहन करनी पड़ेगी। इसी प्रकार यदि हास्पीटल ने इलाज का क्लेम समय पर प्रस्तुत नहीं किया तो निर्धारित अवधि के 15 दिन के अन्दर क्लेम प्रस्तुत करने पर 50 प्रतिशत राशि का ही भुगतान किया जायेगा। 15 दिन से अधिक देरी से प्रस्तुत दावे की राशि का कोई भुगतान नही किया जायेगा। यदि विभाग ने क्लेम के सम्बन्ध में कोई प्रश्न किया है, और उसका समय पर उत्तर नहीं दिया है तो क्लेम रद्द कर दिया जायेगा तथा उस प्रकरण पर पुनः विचार नहीं किया जायेगा। बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) का क्लेम टीआईडी जनरेट होने के 10 दिन के अन्दर प्रस्तुत नहीं किया तो वह क्लेम स्वत: रद्द हो जायेगा। प्रान्तीय उपाध्यक्ष अशोक लोदवाल एवं प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य महावीर मीणा ने कहा कि एक ओर राज्य के कर्मचारी आरजीएचएस योजना में अपने वेतन से प्रति माह मोटी राशि कटवा कर राजकोष में करोड़ों रुपये जमा कर रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार ने इस आदेश में निजी अस्पतालों में इलाज के लिए माह में अधिकतम 6 बार डाक्टरों से परामर्श लेने, 15 दिन के अन्दर दोबारा जांच लिखने पर भुगतान नही करने, वेंटिलेटर या आईसीयू में मरीज के भर्ती होने पर इलाज के लिए दिनों और राशि की सीमा बढाने के लिए पीएमओ/मैडीकल कालेज, मैडीकल कालेज के मैडीकल बोर्ड तथा डिवीजनल मैडीकल कालेज की सिफारिश कराने जैसी शर्तें लगा कर कर्मचारियों के निजी अस्पतालों में इलाज कराने में रोडे लगा रही है। इसी प्रकार निजी अस्पतालों और मैडीकल स्टोर वालों को सरकार द्वारा समय पर भुगतान नही करने से वे पहले ही इलाज करने व दवाईयां देने में आनाकानी कर रहे थे। अब इस आदेश के तहत निजी अस्पतालों में उपचार कराने तथा क्लेम प्रस्तुत करने के लिए तमाम शर्तें लगाने से कर्मचारियों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना बहुत मुश्किल हो जाएगा। संघर्ष समिति के जिला संयोजक उमेश कुमार मीणा ने कहा कि सरकार द्वारा जारी उक्त आदेश कर्मचारी विरोधी है। इसलिए राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) इस आदेश का विरोध कर सरकार से मांग करता है कि सरकार शीघ्र ही इस आदेश को वापस ले। यदि सरकार ने उक्त आदेश वापस नहीं लिया तो संगठन को मजबूर होकर आन्दोलन के लिए बाध्य होना पडेगा।