हम, हमारा व्यवहार व कोरोना (गेस्ट ब्लॉगर शमशेर गांधी)

Sufi Ki Kalam Se

हम, हमारा व्यवहार व कोरोना
आज चिकित्सीय कार्य हेतु घर से बाहर जाना हुआ। गांव में दुकानों के बाहर समूहों में लोग बैठे थे लगभग सभी के मास्क नहीं थे और एक निर्धारित दूरी भी नहीं बना रखी थी।
छोटे बच्चे इस बात से सावधानी बरत रहे हैं कि कहीं उस का हाथ किसी को छू ना ले। यह देख कर दिल को बहुत तसल्ली हुई कम से कम बड़ों से बच्चे ज्यादा सावधान हैं।

शहर में पहुंचने पर एक गली में 10-12 युवा लूडो खेलते मस्ती कर रहे थे। किसी के मुंह पर मास्क नहीं आगे चलने पर इसी तरह कम से कम 10 जगह यह माहौल देखा।
एक जगह रुक कर पूछा कि भाई आप इतने लोग एक जगह बिना मास्क बैठे हैं क्या महामारी चली गई। जवाब बड़ा सुंदर व मासूम था ” भाई जी थे भी इन अफसर,नेता व डॉक्टर की बातों में आ गये। यह एक साजिश है बाकि कोरोना-फोरोन कुछ नहीं।”
मैं अपराध बोध के साथ आगे बढ़ा कि पुलिस सायरन सुनाई दिया। पीछे मुड़ कर देखा एक भी युवक वहां नहीं था सब के सब घर में घुस गये।

मैं अवाक सन्न रह गया। यह वही युवा हैं जो व्हाट्सएप फ़ेसबुक ट्वीटर के साथ दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पुलिस,डॉक्टर,सरकार व व्यवस्था को पानी पी-पी कर कोसते हैं असल में गलत कौन?
काफी देर लगी डॉक्टर साहब की लिखी दवा ले कर उसी रास्ते से लौटा युवक वहीं जमे गेम खेल रहे थे। उनको देखकर लग रहा था इस इलाके में कहीं महामारी के लक्षण नहीं हैं इसलिये यह इतने निश्चिंत हैं। मैं भी ढीठता के साथ फिर उनके पास जाकर पूछ बैठा कि भाईयो इस मोहल्ले में शायद कोई पोसिटिव नहीं है इसलिये आप इतने बेफिक्र हैं जवाब सुनकर आश्चर्य हुआ कि इस क्षेत्र में काफी मौत हुई हैं एवं अभी काफी लोग पॉजिटिव हैं। आगे बिना कोई सवाल किये चलना ही बेहतर समझा।

यह हाल है आज के युवाओं के कंटोनमेंट एरिया होने के बावजूद भी घर में अंदर बैठना सजा समझते हैं दोष देते हैं सरकार को।

भारत की आबादी लगभग 130 करोड़ है। खुदानाखास्ता 1% आबादी पॉजिटिव हो जाये और इस तरह घर से बाहर झुंड में बैठने लगे तो आप सोच सकते हैं क्या हाल होगा?
1% अर्थात एक करोड़ तीस लाख लोग प्रभावित होंगे क्या किसी भी सरकार के लिये स्थिति को संभालना मुमकिन है। और यह 130 लाख लोग औसत 10 लोगों को भी प्रसाद के रुप में बीमारी बांटेंगे तो क्या हाल होंगे।

पहली व दूसरी लहर से उबरने की हालत में आये ही नहीं कि यह ब्लैक फंगस,व्हाइट फंगस का खतरा आ गया।

मज़ाक अपनी जगह मस्ती,घुमाई,खेलना यह सबको अच्छा लगता है पर किस क़ीमत पर।

तीसरी लहर की तैयारी सरकारों ने शुरू कर दी है इस पर काबू तब ही पाया जा सकता है जब हम खुद पर अंकुश लगायेंगे।
दूसरा मामला यह है कि व्हाट्सएप फेसबुक अथवा अन्य सोशल मीडिया पर तरह तरह के उपाय बताये जा रहे हैं जिन की घरों में अत्यधिक प्रयोग में लिया जा रहा है। यह खतरनाक है। बहुत ज्यादा मात्रा में काढ़ा आदि का प्रयोग प्राणघातक हो सकता है।

प्रिय साथियो,
अभी थोड़े दिन के लिये अपने आप को व अपने परिवार को बचाने के लिये घर के अन्दर ही रहें। अगर आपको यह सजा लगे तो सजा ही सही। अपनों को खोने का दुःख क्या होता है जिस पर बीती है उस से पूछें।

आपका अपना
शमशेर गांधी (गेस्ट ब्लॉगर)


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