कायमखानी बेटीयां सिविल सेवा मे जाकर समुदाय को राहत प्रदान करने के प्रयासरत मे।
गेस्ट ब्लॉगर अशफाक कायमखानी
जयपुर।
एक जमाना था तब कायमखानी परिवार के घर घर से फौज व पुलिस मे एक एक बेटा सेवा मे जाता था। उसके बाद डीडवाना के झाड़ोद गावं के बक्सू खान व झूंझुनू जिले के नुआ गावं के लियाकत अली खान परिवार ने सीविल सेवा की तरफ मुंह इस तरह मोड़ा की उनके परिवार व रिस्तेदारी से एक नही अनेक सीविल अधिकारी बनने का सीलसीला शुरू हुवा।इन परिवारो मे बने खुशनुमा माहोल के बाद खरबूजा को देखकर खरबूजा रंग बदलने की कहावत की तरह कायमखानी बिरादरी मे सिविल सेवा मे बच्चों का जाने का जेहन व माहोल बनने लगा।
पीछले कुछ सालो मे कायमखानी बिरादरी मे लड़को का शेक्षणिक मयार कमजोर पड़ा तो उसकी भरपाई करने के लिये बेटीयो ने मोर्चा सम्भाला। अब बेटीयो ने आर्मी, नेवी, एयरफोर्स व न्यायीक सेवा के अलावा विभिन्न तरह के क्षेत्रो मे अधिकारी बनकर पैर जमाये है। इसके साथ अब भारतीय व राज्य स्तर की प्रशासनिक सेवा मे भी बेटियों ने पैर जमाने शुरू कर दिया है।
भारतीय स्तर पर बेरी गावं की श्रीमती असलम खान ने सीविल सेवा पास करके भारतीय पुलिस सेवा IPS की अधिकारी बनी हुई है। इसी तरह नुआ गावं की फराह हुसैन भारतीय सीविल सेवा पास करके आयकर विभाग मे कमिश्नर पद पर तैनात है। इन दोनो के अलावा झारिया गावं की शाहीन खान ने हाल ही मे राजस्थान सीविल सेवा की परीक्षा पास की है।
कुल मिलाकर यह है कि प्रदेश के खासतौर पर शेखावाटी व मारवाड़ क्षेत्र मे मूलरूप से रहने वाली मुस्लिम कायमखानी बिरादरी मे लड़को के कमजोर होते शैक्षणिक स्तर व सीविल सेवा मे जाने के घटते प्रतिशत की पूर्ती करने के लिये बेटीयाँ सीरियसली उतावली नजर आ रही है।
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