सुपरहीरो है हमारा पैडमैन

Sufi Ki Kalam Se

“मर्द आधा घंटे ब्लडिंग कर दे तो मर जाये जबकी औरते पुरे पॉच दिन तक इस समस्या से जूझती है” जैसै सवांदो से सजी अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म पैडमैन का जादु लोगो पर सिर चढकर बोल रहा है। ‘पा’, ‘चीनीकम’ जैसी सफल फिल्मे बनाने वाले ‘आर बाल्कि’ ने फिल्म की कहानी लिखी है और फिल्म का निर्देशन भी किया है. अक्षय की पत्नि ट्विकंल खन्ना फिल्म की निर्माता है।

फिल्म की कहानी तमिलनाडु के कोयबंटुर निवासी अरूणाचलम मुरूगंनथम के जीवन से प्रेरित है जिन्हे पैडमैन के नाम से जाना जाता है.
फिल्म मै अक्षय कुमार ने लक्ष्मीकान्त चौहान नाम के एक साधारण ग्रामीण का किरदार निभाया है जिसे शादी के बाद पता चलता है की औरते माहवारी के समय गंदे कपडे इस्तेमाल करती है जिससे गंभीर बीमारीयो के सक्रंमण का खतरा बना रहता है. वह अपनी पत्‍‌नी राधिका आप्टे (गायत्री) को पैड खरीदकर दैता है लेकिन पैड की कीमत अधिक होने के कारण वह हमैशा एेसा नही कर सकता था इसलिए उसने स्वंय सस्ते पैड बनाने का बीडा उठाया. उसकी इस जिद के कारण उसकी पत्नि और परिवार ही नही बल्कि पुरे गॉव ने उसका बहिष्कार कर दिया. परेशान होकर लक्ष्मीकांत इंदौर चला जाता है और पैड बनाने के काम को और अच्‍छे से बनाने की कोशिश करती है. वहॉ उसकी मुलाकात सोनम कपूर(परी) से होती है जो उसके सपने को पुरा करने मे मदद करती है.देखते ही देखते यह साधारण नौजवान अन्तरराष्ट्रीय हिरो बन जाता है. अपनी सगी बहनो और गॉव की लडकियों से पैड के बारे मे खुलकर बात करने के कारण सब लक्ष्मीकांत को पागल समझते है. फिल्म मे भारतीय समाज की समस्याओं को बाल्कि ने शानदार तरीके प्रस्तुत किया है. फिल्म पुरी तरीके से दर्शको को बाँधे रखती है.
संगीतकार अमित त्रिवेदी ने फिल्म की पृष्ठभूमि पर आधारित संगीत देकर फिल्म को सजाया है तो निर्देशक महोदय ने पारिवारिक बन्धनो, सामाजिक समस्याओं और पति-पत्नि प्रेम का खुबसूरत अंकन किया है।

अक्षय कुमार ने अपने किरदार के साथ पुरा न्याय किया है जो आजकल इस तरह के कई सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बना रहै है. पैड बनाने के दौरान जब अक्षय स्वंय पर इसका प्रयोग करते है तो खून से सनी पैंट वाला दृश्य दर्शको के रोंगटे खडे कर देता है. फिल्म के अंत मै अमेरिका मे दिया हुआ अक्षय का दैशी अँग्रेजी वाला भाषण फिल्म का सबसे अच्छा हिस्सा कहा जा सकता है जो लोगो को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है. वैसै तो फिल्म हर तरीके से लोगो को प्रेरित करती है लेकिन जिस आसानी से फिल्म मे अक्षय के प्रयोग को सफलता दिलाई गई है वह हमारे समाज मे आज भी मुमकिन नही है. फिल्म मे अक्षय और सोनम की अधूरी प्रेम कहानी रोमांसपसंद लोगो को थोडा निराश करती है. अमेरिका से गॉव वापस आने पर गॉव वालो द्वारा अक्षय का जो स्वागत किया जाता है वह दृश्य लोगो मे एक नई ऊर्जा का संचार करता है.फिल्म मै अभिनेत्री द्वारा बार बार गंदा कपडा सुखाया जाने वाला दृश्य प्रसिद्द उर्दू कहानीकार कृष्‍णचन्दर की कहानी महालक्ष्मी के पुल की याद दिलाता है.
नासिर शाह(सूफी)


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