गेस्ट पोएट बाबूखान घड़ोई,कल्याणपुर, की कविता ‘देश के जो किसान है’

Sufi Ki Kalam Se

गेस्ट पोएट बाबूखान घड़ोई,कल्याणपुर, की कविता ‘देश के जो किसान है’


‘देश के जो किसान है, वो देश की पहचान है,
कड़ी मेहनत करते अन्नदाता वो हमारी शान है!

बाबूखान घड़ोई


धूप में नंगे पांव हैं जलते, सर्दी में भी जो न जपते,
रात भर जो न सो पाते, आधी रोटी खा न पाते, बचपन से बूढ़े जो जाते !
खेतों में दिन काटते रातों में भी सो न पाते!
देश का जो मान बढ़ाते, किसान वो देश प्रेमी कहलाते!


देखो सरकार है कैसा कानून लाई,
सीने में कैसी आग लगाई, अब खेत से जो सड़क पर ले आई!
कैसी बेरहम सरकार है आई,
देश को बेचने पर आई, महंगाई ने भी क्या छलांग लगाई!


जो सोचे न किसान की भलाई,
या रब कैसी है ये बलाई, CAA से,NRC से जिसने आग भड़काई, फिर कोरोना से जान बचाई ,अब किसानों पर जो जुल्म की आग लगाई,
देश की कैसी हालत बनाई, कैसी है निकम्मी सरकार ये भाई, जो किसानों को सड़कों पर लाई!


जो जो किसान खेतों में सोते, वो महीनों से सड़कों पर सोते, कैसा सरकार ये कानून है लाई!
कैसी है ये बलाई, कैसी है ये बलाई, वापिस लो ये कानून भाई, जो किसान की है जान पर आई!!

गेस्ट पोएट बाबूखान घड़ोई ,कल्याणपुर


Sufi Ki Kalam Se

10 thoughts on “गेस्ट पोएट बाबूखान घड़ोई,कल्याणपुर, की कविता ‘देश के जो किसान है’

  1. Pingback: Hotel in Latvia
  2. Pingback: som777
  3. Pingback: cock
  4. Pingback: safe fortnite hack

Comments are closed.

error: Content is protected !!