अतीत की यादें (नयी क़लम में पढ़िए भारती मीणा की शानदार कविता)

Sufi Ki Kalam Se

अतीत की यादें

यूं अचानक अतीत की यादों का जेहन में जाना,
और फिर चाहते हुए भी आंखों का नम हो जाना,
किसी की कुछ बातो से फिर से पुराने दर्द का एहसास हो जाना,
सबके सामने मुस्कुराना और अकेले में सिसकियों भरी कई रातों का गुजर जाना,
कुछ बातों का मतलब और कुछ मतलब की बातें देर से सही पर एक वक्त पर समझ जाना,
अमीरी से दूरी और गरीबी से नजदीकियों का बढ़ जाना,
सबकुछ होते हुए भी कुछ ना होना,और कुछ ना होते हुए भी सबकुछ होना इस बात का अर्थ समझ जाना,
यूं अचानक अतीत की यादों का जेहन में जाना,और फिर चाहते हुए भी आंखों का नम हो जाना….!
भारती(टीना)✍️


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