वेक्सीनेशन के लिये जन जाग्रति लाने मे धार्मिक विद्वानों को भी आगे आना होगा (गेस्ट ब्लॉगर अशफ़ाक कायमखानी)

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कोविड वेक्सीनेशन के लिये जन जाग्रति लाने मे धार्मिक विद्वानों को भी आगे आना होगा।
राजस्थान मे 18-44 साल के सात लाख युवाओं का पहली डोज का वेक्सीनेशन हुवा।
– अशफाक कायमखानी
जयपुर।
विश्व की आबादी के हिसाब से हर छठे आदमी के भारत मे निवास करने के बावजूद वेक्सीन व वेक्सीनेशन को लेकर चले आरोप-प्रत्यारोप को दरकिनार करते हुये देखने मे आ रहा है कि मुस्लिम समुदाय मे वेक्सीनेशन को लेकर आकर्षण उतना नही है। जितना कोराना महामारी के प्रकोप से बचने के लिये समय रहते होना चाहिये था। कोराना की दूसरी लहर मे संक्रमित होकर नजदीकी व जानकर लोगो के मरने वालो पर नजर दौड़ाई जाने पर पाया गया है कि उन्होंने वेक्सीनेशन नही करवाया था। अभी 18-44 वर्ष के लोगो के वेक्सीनेशन के लिये रजिस्ट्रेशन के बाद वेक्सीनेशन की प्रक्रिया मे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व भी ना के बराबर नजर आ रहा है।
हालांकि हो सकता है कि राजस्थान के आदिवासी व दलित बस्तियों मे भी वेक्सीनेशन को लेकर जागरूकता का अभाव हो, लेकिन मुस्लिम समुदाय मे वेक्सीनेशन के प्रति रुझान वेक्सीनेशन सेंटर पर कम ही देखा जा रहा है। जिन वैज्ञानिकों की मेहनत व उधोगपतियो की लगन से कोविड वेक्सीन का निर्माण हुवा है। ऐसे लोगों द्वारा मानव जाति के लिये किये गये प्रयास को बहुत ही आदर व सम्मान से देखा जाना चाहिए। जिन्होंने कोविड-19 के बदलते घातक स्वरूप से बचाने के लिये कारगर कदम उठा कर बचाव का एक रास्ता दिखाया है।
खासतौर पर राजस्थान के मुस्लिम समुदाय मे वेक्सीनेशन को लेकर कुछ शिक्षित व सामाजिक क्षेत्र मे काम करने वाले परिवारों मे जागरूकता देखी गई है। लेकिन समुदाय का अधीकांश हिस्सा अभी भी वेक्सिनेशन से कोसो दूर है। वेक्सीनेशन के लिये आकर्षण पैदा करने के लिये सामाजिक वर्कर तो अपनी तरफ से भरपूर कोशिशे कर ही रहे है। अगर इनके साथ ही मस्जिदो के इमाम, मदरसो के संचालक, दरगाहों के मुतवल्ली ओर सज्जादानशीन व अन्य धार्मिक लीडर भी आगे आकर पहले स्वयं व परिवार जनो का वेक्सीनेशन करवाये एवं फिर अन्यो को भी प्रेरित करके वेक्सीनेशन करवाने के लिये तैयार करे। अगर ऐसा जितना जल्दी होगा मानो उतनी जल्दी वतन व समाज की खिदमत होगी।
पीछले दिनो आस पास के अनेक गावो मे सरकारी या गैर सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 45 वर्ष से उपर वालो लोगो के कोराना से संक्रमित होकर मरने वाले व संक्रमित होने वालो पर नजर दौड़ने पर पाया गया कि उनमे से अधीकमत लोगो ने वैक्सीन की एक भी डोज नही ली थी। जिन लोगो ने वेक्सीनेशन करवा था उनमे से अधीकांश तो संक्रमित हुये ही नही ओर जो हुये वो भी इलाज के बाद ठीक हुये बताते है। राजस्थान मे 18-44 साल के सात लाख युवाओं का पहली डोज का वेक्सीनेशन हो चुका है। जिनमे मुस्लिम युवा अपनी आबादी प्रतिशत से काफी कम बताये जा रहे। इन युवाओं के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया मे अगर मदद हो तो परिणाम सकारात्मक आ सकते है।
हालांकि भारत मे वेक्सीन की जरूरत के मुताबिक आपुर्ति नही होना कम वेक्सीनेशन होना एक प्रमुख कारण होने के अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा विदेशो मे वेक्सीन भेजने पर उठते सवाल अलग मसले हो सकते है। लेकिन इन सबके बावजूद सभी धर्मों के धार्मिक लीडरान को समय रहते आगे आकर वेक्सीनेशन के लिये जाग्रति लाने मे मददगार बनना चाहिए। सामाजिक वर्कर व सियासी लीडरशिप तो इस अभियान मे अपने कर्तव्यों का पालन करती नजर आ रही है। यानि मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर व गुरुद्वारों सहित सभी धार्मिक जगहो से भी वेक्सीनेशन के प्रति आकर्षण की आवाज उठे तो बेहतर परिणाम नजर आयेगे।


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