रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे यह एक सुन्नत है
तेरी रोजी में खुदा की बरकत है
रोजा जो रखेगा तुझको जन्नत है
तुझ पर बरसेगी खुदा की रहमत है
रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू
भूख प्यास की शिद्दत जितनी लगती है
उतनी नेकी बंदे तेरी बढ़ती है
पंच वक्ता नमाज हम जब पढ़ते हैं
उतने ही गुनाह हमारे झड़ते हैं
रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू
कुराने तिलावत जब हम करते हैं
एक के बदले सत्तर नेकी पाते है
इफ्तारी शाम को सामने जब आती है
इफ्तार की रौनक कितनी बढ़ जाती है
रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू
तरावीह की नमाज़ जब हम पढ़ते हैं
कानों से कुरान जब हम सुनते हैं
रोजा हमारा जब मुकम्मल होता है
खुदा हमारा कितना खुश होता है
रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू
ना छोड़ बंदे एक भी रोजा तू
सारे रोजे रख के खुदा का हो जा तू
रोजा रखने वाले बंदे उठ जा तू
सहरी कर ले बंदे अब तो उठ जा तू ।
इस नज़्म को आप शायर की आवाज़ में YouTube channel पर भी सुन सकते हैं https://youtu.be/BULCa9hGfO8
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