सूफ़ी की कलम से ✍️
इन्साफ के लिए भटकती मेड़ता (राजस्थान) की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता
20 दिसम्बर 2020 की रात, मेड़ता सिटी (नागौर, राजस्थान) के एक गरीब परिवार की जिंदगी में ऐसा तूफान लेकर आया जिसका असर समस्त परिवार पर, सारी जिंदगी रहेगा। इस गरीब परिवार की मासूम बारह वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ चार दरिंदों ने सामुहिक दुष्कर्म करके बेटी और परिवार की जिंदगी को नर्क में धकेल दिया। इस घटना को हुए एक महिने से भी ज्यादा समय बीत गया मगर पुलिस और प्रशासन कोई कारवाई करने को तैयार नहीं है बल्कि पीड़ित पक्ष पर राजीनामे का दबाव बना रहे हैं। अपराधियों पर पाॅक्सो एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई होने चाहिए थी मगर वो तो खुले आम घूम रहे हैं और बारह वर्षीय नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता और उसके गरीब घरवाले इन्साफ ले लिए इधर से उधर भटक रहे हैं।
ये शर्मशार करने वाली घटना देश में पहली बार नहीं है बल्कि आए दिन ऐसी घटनाएँ अब सामान्य खबरें लगने लगी है क्योंकि लोगों के पास इतना समय नहीं है वो दिल्ली की निर्भया की तरह बाकी देश की बेटियों को इन्साफ दिला सके। पुलिस प्रशासन का रवैया अब भी वैसा ही है जैसा हम हिन्दी फ़िल्मों और आम जीवन में देखते आए हैं। इन्हीं कारणों के चलते बुरी नियत वाले लोगों के हौंसले बढ़ते हैं और वह इस तरह की घटनाओं को बिना खौफ़ के अंजाम देते हैं।
मेड़ता की इस बेटी को इन्साफ दिलाना तो दूर की बात है इसकी खबर तक भी लोगों के पास नहीं है और होगी भी कैसे? देश के हर जिले में दुष्कर्म की घटनाएँ इतनी हो चुकी है कि आदमी क्या क्या याद रखे। एक घटना के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कई साल लग जाते हैं और इसी दौरान हज़ारों लड़किया दुष्कर्म की शिकार हो जाती है।इसके पीछे कई कारण हैं। ऐसी घटनाओ के लिए स्थानीय राज्य सरकारों के साथ साथ पुलिस प्रशासन, मीडिया और समाज भी काफी हद तक जिम्मेदार है। इसे आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं।
सबसे पहली जवाबदेही तो सरकार की है कि आखिर क्यों उनकी नाक के नीचे आये दिन इस तरह की घटनाएं घटित हो रही है? दूसरी जवाबदेही पुलिस की है। मेड़ता सिटी पीड़िता के चारों आरोपियों को, पीड़िता पहचान चुकी है और रिपोर्ट दर्ज करा चुकी है लेकिन पता नहीं पुलिस प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह आरोपियों को गिरफ्त में करने के बजाय पीड़ित पक्ष पर ही राजीनामे के पीछे पड़ रही है और आरोपियों को खुलेआम घूमने के लिए छोड़ रखा हैं। तीसरी जवाबदेही मीडिया की है जो भी केवल एक दिन घटना को कवरेज देकर ऐसे गायब हो जाती है जैसे पीड़िता को इन्साफ मिल गया हो और देश से दुष्कर्म के मुद्दे खत्म हो गए हों। आखिरी जवाबदेही जनता की है जो सब कुछ जानते हुए भी चुपचाप तमाशा देखती रहती है और अपने साथ बुरा होने का इंतजार करती रहती है।
पुलिस, मीडिया और सरकार तो जैसे उनकी मरज़ी काम कर रही है लेकिन जनता क्यों खामोशी से ये सब बर्दाश्त कर रही है यह सवाल हमेशा उठता रहा है?
मेड़ता पीड़िता के घरवाले बेहद गरीब और मजबूर है जिनका प्रशासन से भरोसा उठ गया है और विडियो के माध्यम से देश की जनता से इन्साफ की मांग कर रहे हैं। पीड़िता के पिता का कहना है कि इस मामले पर फोन कर करके सब जानकरी तो मांग रहे हैं मगर मदद कहीं से नहीं मिल रहीं हैं। वह नागौर जिले के एसपी से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक अपना संदेश पहुँचा चुके हैं मगर फिर भी न्याय के मामले में खाली हाथ है। पीड़िता एक बारह साल की नाबालिग है, जो यह सब जानती भी नहीं है,लेकिन जनता तो सब जानती है फिर वो क्यों लगतार एसे मामलों पर चुप्पी साधे रहती है?
पीड़िता के पिता का बयान जो उन्होंने ‘सूफ़ी की कलम से’ वेबसाइट को बताया
“जबसे मेरी मासूम बेटी के साथ ये घिनौना काम हुआ है तबसे ना जाने कितने कॉल्स मुझसे घटना की जानकारी मांग रहे हैं लेकिन मदद कहीं से नहीं मिल रही है। पीड़िता जिन आरोपियों को पहचान चुकी है, स्थानीय पुलिस उनको अपराधी नहीं मानकर अन्य पर संदेह जता रही है और अपराधियों को खुला छोड़ रखा है। “
- नासिर शाह (सूफ़ी)
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