उंगली पकड़कर चलना सिखाया
लगी जो चोट तो गले से लगाया
दी हमको जमाने भर की खुशियां
फिर भी ये सोचा क्या इनको दे पाया
खुद कम पढे पर हमको पढ़ाया
तालीम की अहमियत को दिल में बिठाया
बनो नेक बंदे और ईमान वाले
यही सबक उन्होंने हमको बताया
खुदा माफ़ करना गर उनको सताया
खिदमत करें उनकी यह तौफीक दे खुदाया
दे तू उनको खुशियां और सेहत हमेशा
रहे हम पे हमेशा उनका यह साया।
गेस्ट ब्लॉगर इमरान खान
#HappyFarhersDay

21 thoughts on “फादर्स डे कविता (गेस्ट पॉएट इमरान खान दौसा)”
Comments are closed.