वक्त ए आखिर….
यह दौर साइंस और टेक्नोलॉजी के मैदान में जिस तेज रफ्तारी का मुजाहिरा कर रहा है उसकी मिसाल इंसानी तारीख़ के किसी दौर में नहीं मिलती है। तहकीक और रिसर्च और ईजाद की फिजाओं में परवाज करता हुआ आज का इंसान जहां एक तरफ अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान भरने लगा है वहीं दूसरी तरफ जमीन का सीना चीरकर उस उसके अंदर झांकने और उसके पोशीदा खजाने बाहर निकाल लाने की मुसलसल कोशिशों में दिन रात मसरूफ है। समुंदर की गहराइयां पहाड़ों की चोटियां और फिजाओं की सख्तियाँ उसकी हिम्मत को रोक नही पाती हैं। चांद सूरज रात दिन पेड़ पौधे जमीन आसमान के राज़ और उनकी तलाश और जूस तुजू करके वह उन पर अपनी हुक्मरानी की तदबीरें कर रहा है। नई ईजादों की बहतात, असबाब और मालियात की तरक्की , सफर की तमाम आसानियां, मीडिया की उठान, हथियारी ताकत, हेरान करने वाली इंडस्ट्रीज, और जिन्दगी के हर विभाग में जरूरत की हर चीज़ का मुहैय्या होना आज के दोर में मेहनत मशक्कत का इनाम बन चुका है।
मजहबी लड़ाई में मसरूफ हिंदुस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश के सभी हजरात के लिए फिक्र करने का आखिरी वक्त आ चुका है।
– राहत सुल्तान इसराइली, अलीगढ़
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