“कभी खुदखुशी ना करना’ गेस्ट कॉलम में, गेस्ट पॉएट अन्तिमा मीणा की मार्मिक हिन्दी कविता

Sufi Ki Kalam Se

कभी खुदखुशी ना करना’
@अन्तिमा मीणा कोटा



कभी खुदखुशी ना करना बच्चों इस जिन्दगी को सम्हाल के रखना
ना इसको धोखा देना,ना खुद ही धोखा खाना
चलना सम्हल सम्हल के ना तुम डगमगाना
जब आए कोई मुश्किल लक्ष्य उसे समझना
ना तुम पीछे हटना ना गलत कदम उठाना
ये जिन्दगी अमानत है इसको तु ही बचाना



क्या तुम्हें मालूम है जिन्दगी एक गुरूर है
टूट जाए तो मिट्टी में मिला देती है
और उठ जाए तो चाँद सितारों से मिला देती हैं
माता की आशा है तु पिता के अरमान
माता तो तेरे लिए सब कुछ भुला देती हैं
तेरी राहों पे ही अपने को बिछा देती हैं
चाहे ना हो घर में कुछ भी बच्चों से छुपा लेती हैं
अरमान है पापा के कुछ उनको तु ही पूरा करना
ना तुम पिछे हटना ना गलत कदम उठाना
ना उनको धोखा देना ना खुद ही धोखा खाना



अपने मम्मी पापा के अरमानो के लिए ही सही
अपनी छोटी बहन की राखी के लिए ही सही
अपने बड़े भैया के ख्वाबो के लिए ही सही
अपने दोस्तों की दोस्ती के लिए ही सही

जिन्दगी में कभी खुदखुशी न करना

ना उनको धोखा देना ना खुद ही धोखा खाना
चलना सम्हल सम्हल के ना तुम डगमगाना
ये जिन्दगी अमानत है, इसको तु ही बचाना।
अन्तिमा मीणा (अँग्रेजी शिक्षिका)अयानी, कोटा
7568747204


Sufi Ki Kalam Se

7 thoughts on ““कभी खुदखुशी ना करना’ गेस्ट कॉलम में, गेस्ट पॉएट अन्तिमा मीणा की मार्मिक हिन्दी कविता

  1. Pingback: over here
  2. Pingback: fake information
  3. Pingback: สวนหิน

Comments are closed.

error: Content is protected !!