बुरी नज़र से बचाने के लिए, घर के दरवाजे पर लटके नींबू मिर्ची की तरफ प्राण खान घूर रहे थे, तभी नींबू ने पलट कर जवाब दिया, ” घूर ही सकते हो फ़िलहाल तो मुझे, खाने की हैसियत तो है नहीं तुम्हारी”
निंबू का ये ताना सुनकर प्राण खान आवेश में आ गए और बोले, ज्यादा मत इतरा, यह मत भूल की तुझे यहां मैंने ही खरीद कर लटकाया है “
” वो गुजरे ज़माने की बात है, जब हमारे भाव कम थे, आज हम पावर में है, इसलिए तुम्हारे घर में सिवाय ये नजर उतारी के नींबू के दूसरा नींबू हो तो बताओ? “
निंबू ने अकडते हुए जवाब दिया।
तुम्हारी बात सही है कि फ़िलहाल तुम्हारे भावों को देखते हुए मेरी हैसियत नहीं है तुम्हें खरीदने की, लेकिन तुम ये बताओ की इतने भाव क्यों आ रहे हैं तुम्हें ‘
प्राण खान ने मासूमियत से पूछा।
” हाआआ.. हा. आआ…आ..
ये भी कोई, मुझसे पूछने की बात है भला? यह सवाल या तो अपने आप से करो या अपनी चुनी हुई सरकारों से, मेरे क्यों प्राण खा रहे हो प्राण खान जी… 😂😂😂
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