सूफ़ी की कलम से…
‘दो बुरी आदतें’ जो
कामयाबी से भटकाती है
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कामयाबी एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर ही इंसान को काफी अच्छा लगता है। दुनिया में ऐसा कौन होगा भला जो कामयाब नहीं होना चाहेगा। कामयाब होना सब चाहते हैं, वो अलग बात है कि कामयाब होने के लिए सब प्रयास नहीं करते और जो प्रयास करते हैं उनके तरीके भी अलग अलग होते हैं। वैसे इस शब्द पर बात करने के लिए अनगिनत तरीके है, लेकिन यहां हम सिर्फ दो तरीकों पर बात करेंगे जो प्रत्यक्ष ना सही लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कामयाबी से जुड़े हुए हैं। यह दो तरीके दरअसल में दो बुरी आदतें है, जिन्हें बदल कर कामयाबी की तरफ बढ़ा जा सकता है। पहली आदत है, अति उत्साही होना और दूसरी आदत है आत्मविश्वास की कमी होना।
इंसान मे ये दोनों आदतें है छिपी हुई होती है और इनका एहसास भी लोगों को मुश्क़िल से ही, हो पाता है। अगर इनका एहसास हो जाए और इन्हें छोड़ने का इरादा कर लिया जाए तो ये समझा जा सकता है कि हमने कामयाबी के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है।
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अति उत्साही होना –
उत्साहित होना एक सकारात्मक पहलू है, लेकिन अतिउत्साहित होना नकारत्मक।
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कई लोगों का ये मानना होता है कि वह हर काम में सक्षम है। यहां तक भी ठीक है, लेकिन कई लोग सोचते हैं कि सिर्फ वही हर काम को कर सकते हैं बाकी उनके मुकाबले में कहीं नहीं है। ये सोच इंसान की कामयाबी को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। हालांकि कामयाबी के लिए किए गए प्रयास में उत्साही प्रवृत्ति का होना लाभकारी होता है लेकिन वही अतिउत्साहित प्रवृत्ति इंसान की कामयाबी में एक अदृश्य बाधा बन कर उभरती है। अतिउत्साहित प्रवृत्ति एक और बुराई, ‘घमंड’ को भी जन्म देती है जो भी कामयाबी से दूर ले जाने का कारण बनती है। इतिहास ऐसे अतिउत्साही लोगों की कहानियों से भरा पड़ा है।
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आत्मविश्वास की कमी – इंसान में आत्मविश्वास की कमी होना अतिउत्साहित होने से भी ज्यादा नुकसानदायक है। दरअसल देखा जाए तो अधिकतर लोगों को तो पता ही नहीं है, कि वो भी अपने जीवन में एतिहासिक काम कर सकते हैं और कईयों को पता तो होता है लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल भी यकीन नहीं होता है कि वह ऐसा करने में कामयाब होंगे, इसलिए वो प्रयास भी नहीं करते हैं।
आत्मविश्वास एक ऐसी अदृश्य भावना है जिसे भावना कम, शक्ति कहना अधिक उचित होगा। अगर इंसान को अपने अंदर छिपी आत्मविश्वास की शक्ति का एहसास हो जाए तो कामयाबी पर उसका सौ प्रतिशत हिस्सा ना सही लेकिन काफी हद तक कामयाबी उसकी झोली में होगी।
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उदाहरण के तौर पर किसी बेरोजगार युवा से यह कहा जाए कि अगर तुम नए आइडिये का प्रयोग करते हुए कोई बिजनैस शुरू करो और मेहनत करोगे तो जल्द ही अमीर और कामयाब आदमियों में शमिल हो जाओगे। उपरोक्त कथन काफी सामान्य और प्राचीन है, जिसे सुनकर अधिकांश लोग मुँह बनाकर टाल देते हैं लेकिन कुछ प्रतिशत लोग ऐसे भी होते हैं जो हर दौर में ऐसी सलाह पर पूरा अमल करते हैं और कामयाबी की नयी परिभाषा रचते है।
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अल्बर्ट आइंस्टीन हो या प्रसिद्ध वैज्ञानिक हॉकिन्स। इनकी या इनके जैसे कई महान लोगों की जीवनी पढ़ने पर एहसास होता है कि आत्मविश्वास वह शक्ति है जिसके दम पर नामुमकिन कामों को भी मुमकिन किया जा सकता है। गौरतलब है कि बचपन में अल्बर्ट आइन्सटीन एक साधारण बालक थे जिन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था लेकिन आत्मविश्वास की ताकत के जरिए उन्होंने अपना नाम दुनिया के प्रसिद्ध व्यक्तियों में शामिल करवा दिया। इसी तरह हॉकिन्स को पढ़ते हैं तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्योंकि हॉकिन्स ने तो पूरे शरीर में लकवा होने के बावजूद भी वो कारनामे कर दिखाए जो तंदरुस्त से तंदरुस्त इंसान नहीं कर सकते। और ये सब उनकी मेहनत के साथ साथ उनके आत्मविश्वास का भी नतीज़ा है।
इसलिए अपने आत्मविश्वास की शक्ति को पहचानने हुए उसकी कमी को दूर किया जाना अति आवश्यक है।
– नासिर शाह (सूफ़ी)
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कामयाबी से भटकाती है”
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