मुफ्त चीजे देने के चुनावी वादे देश के लिए कितने घातक
जानिए मारवाड़ी लेखक राजीव शर्मा के गेस्ट ब्लॉग में…
मैं मानता हूं कि सरकार की ओर से जनता के लिए सहूलियत होनी चाहिए लेकिन वह उस रूप में नहीं हो जिस तरह ये पार्टियां वादा कर रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह तीन चीजें कभी महंगी न होने दे: 1. रोटी, 2. शिक्षा, 3. इलाज। इनकी कीमतों पर कठोरता से नियंत्रण रखे।
जब भी किसी राज्य में चुनाव आते हैं, पार्टियां मुफ्त चीजें देने के ऐलान शुरू कर देती हैं। ‘आप हमें वोट दें, हम आपको मुफ्त लैपटॉप देंगे … मुफ्त साइकिल देंगे … मुफ्त बिजली देंगे … सिलाई मशीन देंगे … मुफ्त खाना देंगे … मुफ्त पानी देंगे … मुफ्त यात्रा की सुविधा देंगे … मुफ्त सिलेंडर देंगे … मुफ्त मकान देंगे … कर्ज माफ कर देंगे …।’
इनमें से कुछ चीजें दी भी जाती हैं लेकिन यह प्रवृत्ति घातक है। इससे नागरिकों में मुफ्त पाने की लालसा बढ़ती है। जनता के बीच ऐसे नेता प्रसिद्धि पाते हैं जो मुफ्त चीजें देने का वादा करते हैं। जब सबकुछ मुफ्त मिल रहा हो तो काम करने की क्या जरूरत है!
हम भारतीयों की मानसिकता ऐसी बन गई है कि बाजार में एक के साथ एक मुफ्त चीज देखकर उसे तुरंत खरीद डालते हैं, जबकि यह जानते हैं कि दुकानदार हमारा मामा नहीं लगता कि उसके हृदय में प्रेम उमड़ आया और वह घाटा उठाकर चीज दे देगा। वह मुफ्त के नाम पर उसकी पूरी कीमत वसूल कर लेता है।
ठीक इसी तरह राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त चीजों की घोषणा एक झांसा है। इनमें से एकाध चीज कभी दे दी जाती है, जिनकी भरपाई वे और किसी तरह करते हैं। जनता को पांच साल के लिए उल्लू बनाकर वे फिर मुफ्त घोषणाओं की पोटली लेकर आ जाते हैं। चूंकि जेब से तो कुछ नहीं जाता, जितना लुटा सकते हो, लुटाओ।
मैं मानता हूं कि सरकार की ओर से जनता के लिए सहूलियत होनी चाहिए लेकिन वह उस रूप में नहीं हो जिस तरह ये पार्टियां वादा कर रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह तीन चीजें कभी महंगी न होने दे: 1. रोटी, 2. शिक्षा, 3. इलाज। इनकी कीमतों पर कठोरता से नियंत्रण रखे।
उसके साथ ही कानून का नियमपूर्वक पालन करने वाले अच्छे नागरिकों के लिए कुछ सुविधाएं और हों। जैसे: जो समय पर टैक्स दे, लाल बत्ती पार न करे, समय पर बिल भरे, बेटिकट यात्रा न करे, पौधे लगाए, सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करे, जल संरक्षण करे, नशाखोरी न करे, दहेज न ले… उसे कर्ज पर ब्याज दर में छूट, टिकट बुक कराने में प्राथमिकता, पेट्रोल-डीजल, मकान और कोई भी चीज खरीदने में अधिक सब्सिडी मिले, बिजली के बिल में रियायत मिले, कम कीमत पर दवाइयां मिलें, सस्ता इंटरनेट मिले, उसके बच्चों को किताबें, एडमिशन, नौकरी आदि में कुछ छूट मिले, उसके सरकारी दफ्तरों से संबंधित काम जल्दी हों।
सरकार चाहे तो इस तरह नागरिकों में अच्छी आदतों का विकास कर सकती है। अगर वह मुफ्त या नाममात्र के शुल्क पर चीजें/सेवाएं देना ही चाहती है तो उन्हें दे जो दिव्यांग हैं या बेसहारा हैं। इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती। विशेष परिस्थितियों की बात अलग है। जैसे: बाढ़, भूकंप, महामारी आदि की स्थिति में मुफ्त चीजें दी जा सकती हैं।
इसके अलावा किसी को कोई चीज या सेवा मुफ्त नहीं दी जानी चाहिए। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के लिए मुफ्त या बहुत कम कीमत में अच्छी से अच्छी शिक्षा का प्रबंध करे, खान-पान का सामान सस्ता हो, मुफ्त या बहुत कम शुल्क में अच्छा इलाज मिले, दवाइयां सस्ती हों, देश में ऐसा माहौल हो जिससे कारोबार को बढ़ावा मिले, सबको बिना किसी भेदभाव के सुरक्षा मिले, लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिले। एक खुशहाल देश की बुनियाद के लिए इतना काफी है। बाकी काम जनता खुद कर लेगी।
एक बार मेरे एक पाठक अपने कामकाज के सिलसिले में सिंगापुर गए। उन्होंने बताया कि सिंगापुर में लोग पानी की एक-एक बूंद बहुत संभलकर खर्च करते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी जेब से धन देकर बोतल खरीदनी पड़ती है। भारतीय मुद्रा से तुलना करके देखें तो वह बोतल महंगी मालूम होती है। जबकि भारत में सार्वजनिक प्याऊ, नलों से पानी बहता रहता है, कोई संभालने वाला नहीं, क्योंकि जो चीज मुफ्त मिलती है, लोग उसकी कद्र नहीं करते।
इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि लोगों को मुफ्त चीजें देने के बजाय अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्हें काम दिया जाए, खुद कमाने के अवसर दिए जाएं। जिस घर में लोगों को मुफ्तखोरी का रोग लग जाता है, वह कभी प्रगति नहीं कर सकता।- गेस्ट ब्लॉगर राजीव शर्मा (प्रसिद्ध मारवाड़ी लेखक)
10 thoughts on “मुफ्त चीजे देने के चुनावी वादे देश के लिए कितने घातक
जानिए मारवाड़ी लेखक राजीव शर्मा के गेस्ट ब्लॉग में…”
Comments are closed.