गेस्ट पॉएट रफीक “राही’ माँगरोल की उम्दा ग़ज़ल

Sufi Ki Kalam Se

उठ उठ कर तकदीर बदल दे।
दुनिया की तस्वीर बदल दे।।

शिरको बिदअत मे उलझाऐ।
जल्दी ऐसा पीर बदल दे।।

जिससे नफरत की बू आये।
ऐसी हर तहरीर बदल दे।।

दौर बमों का आ पहुंचा हे।
बोसीदा शमशीर बदल दे।।

कब तक पस्ती झेले मौला।
इस मिल्लत का मीर बदल दे।।

तालीमी जेवर से “राही”।
बच्चों की तकदीर बदल दे।।

गेस्ट पॉएट रफीक "राही' माँगरोल

@रफीक राही, मागंरोल

Sufi Ki Kalam Se
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