शाहबाद दुर्ग सहित बारां के प्रसिद्ध स्मारक

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नयी कलम में पढ़िए कोटा के शाहरुख का उपयोगी ब्लॉग “शाहबाद दुर्ग सहित बारां के प्रसिद्ध स्मारक”

✍🏼सुल्तान की क़लम से….

➖ हाड़ौती प्राचीन काल यानी 8 वी , 9 वी सदी से ही अनोखी और अनूठी रही है, विरासत की अगर हम बात करे तो गढ़ , किले , महल आदि यहाँ की सभ्यता , दास्तां खुद बयां करती है |

➖ कोटा/हाड़ौती संभाग एक ऐसा संभाग है , जहाँ पर किले और महलों की शायद ही कोई कमी हों |

➖ हुआ यह कि प्राचीन समय में बारह गाँव का समूह/एक साथ लगा करते थे इसलिए इसका नाम वराह नगरी यानी ‘बारां शहर’ के नाम से प्रसिद्ध जो कि कोटा से अलग [ अप्रेल 1991 ई. ] होकर एक नया जिला बना |

➖ इस जिले में प्राचीन दुर्ग विख्यात जिसका नाम – शाहबाद का किला है |

➖ जो कि एक घने जंगलों में बसा , भामती पहाड़ी पर स्थित है , जिसका निर्माण – राजपूत मुकुट मणि चौहान वंश के द्वारा हुआ , यह किला “हाड़ौती का सबसे मजबूत” किला माना जाता है |

दुर्ग के अंदर प्रवेश…..

➖ इस किले के अन्दर प्राचीन काल में 18 शक्ति शाली तोपे हुआ करती थी , जिसके दक्षिणी – पूर्वी द्वार पर सबसे लम्बी तोप /19 फिट – नवलवान तोप रखवाई (मुकुट मणि देव ने)

➖ किले के पश्चिमी भाग में एक बड़ा तालाब स्थित है , इसी के समीप एक बावड़ी जो कि सम्रद्ध स्थापत्य कला व विज्ञान की माया कहीं जाती है |

➖ इतिहासकार कहते है , कि इस बावड़ी में एक ऐसा यंत्र लगा था , जिसे दबाने से बावड़ी में भरा पानी बाहर निकल जाता व दूसरे यंत्र को दबाने से बावड़ी पानी से लबालब हो जाया करती थी |

➖ यहाँ पर कहीं तोपे खाने , बारूद खाने आदि सिथत है |

➖यहाँ से प्राचीन समय में कई मुर्तिया प्राप्त हुई , जिसे शाहबाद नगर में स्थापित करवाया गया |

➖इसी शाहबाद नगर में एक पाषाण से बनी मस्जिद भी है , जिसका निर्माण – औरंगजेब बादशाह (जिन्दा पीर के नाम से प्रसिद्ध ) के शासन काल में मुगल फ़ौजदार – मकबूल ने करवाया, जिसे वर्तमान में “राजस्थान की पहली – शाही जामा मस्जिद के नाम से जाना – जाता है |

  • इस मस्जिद की मीनारों के अन्दर सीढ़ियां भी लगीं हुई है , जिस पर चढ़कर आप पूरे शाहबाद नगर को देख सकते है|
जामा मस्जिद शाहाबाद

➖ इस किले के अन्दर एक महल भी है , जिसे सावन भादो महल के नाम से जाना – जाता है |

➖ इसकी राजधानी – शेरगढ़ के समीप , “सहजनपुर” थी ,

  • इस किले के कुछ अंश कुनु नदी के किनारे मिलते है |

● वर्तमान में इस किले का निर्माण ज़ारी है |

➖आगे की अगर हम बात करे तो….

➖ यहाँ से 55 किलोमीटर दूर..

● सु -प्रसिद्ध किला – “शेरगढ़ का किला” (अटरू)

➖ जिसका इतिहास लगभग 7 से 8 वी सदी से भी पुराना माना जाता है |

➖ इस किले का निर्माण – मालदेव राठौड़ ने , पर्वत शिखर की ऊँची पहाड़ी पर करवाया , जहाँ से परवन नदी बहा करती है |

➖इस किले के बारे में कहा जाता है, कि यहाँ प्राचीन काल में नागवंशियों व परमारों का शासन भी रहा |

➖ शेरगढ़ कस्बे के बोरखेड़ी दरवाज़े पर लगे शिलालेख में वर्णन मिलता है , कि देवदत्त नामक बोद्ध धर्माव लम्बी ने इस किले के समीप , पहाड़ी पर बोद्ध विहार का निर्माण करवाया |

➖ महाराव उम्मेद सिंह के समय में निर्मित – यहाँ का परकोटा कोटा के परकोटे के समान सदृढ़ है |

➖ इस दुर्ग को कोशवर्धन , किले के नाम से भी याद किया जाता है|

● दुर्ग के अन्दर प्रवेश….

➖इस किले के अन्दर की सबसे पहले अगर हम बात करे तो , यहाँ “मीर सय्यद” (शेरशाह के गुरु) की मज़ार व हज़रत काले शाह वली की भी मज़ार स्थित है |

➖ इस दुर्ग के अंदर झाला – जालिम सिंह ने एक महल बनवाया जो की झलाओं की हवेली के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

➖ कहा जाता है ,कि झाला- जालिम सिंह ने यहाँ पिंडारियों को शरण दी थी , जिसमे ‘अमीर खा’ का नाम बड़ा ही प्रमुख है |

➖ यहाँ एक तोप रखी गई , जिसका नाम ” हुनहुंकार तोप” है

➖इस किले का नाम शेरशाह सूरी [ बचपन का नाम – फ़रीद ] के नाम पर ही शेरगढ़ रखा गया |

➖ इस किले में परमारों का भी अधिकार रहा , लक्ष्मीनारायण जी समेत 10 वी – 11 वी शताब्दी के मंदिर आज भी यहाँ मौजूद है और इसी मंदिर में परमार राजाओं के शिलालेख भी मौजूद है |

  • किले के अंदर अन्य मंदिरों में – सोमनाथ महादेव मंदिर , दुर्गा मन्दिर , चार भुजा मन्दिर आदि

➖ इस किले को दुर्गावती नदी छूती हुई निकलती है |

➖ इस किले के अन्दर 8 बुर्ज थे जो वर्तमान में सिर्फ पाँच ही बुर्ज मौजूद है |

➖किले के अंदर एक 10 फिट की ऊँचाई पर रखी तोप
जो आज भी यहाँ रखी हुई है |

➖इस किले का परकोटा दोहरी कोट का होने से अनूठा नज़र आता है |

➖इस किले के पास ही एक रानी पोखरा नामक तालाब भी बना हुआ है |

और इसी शेरगढ़ किले के आस पास शेरगढ़ अभ्यारण्य भी स्थित है |

➖इसी अभ्यारण्य को लेकर world heritage में शामिल करने के प्रस्ताव भी भिजवा रखे है |

NOTE ➖
➖ हाल ही में ज़ारी रिपोर्ट के अनुसार , हाडौती का सबसे सघन , शाहबाद क्षेत्र जो कि जैव

➖ बाराँ जिले की – रामगढ़
पहाड़ियों में स्थित ‘भंडदेवरा का प्राचीन’ मंदिर (पंचायतन शैली में बना) जो क़रीब 900 साल पुराना है , माना जाता है ,जिसे “हाड़ौती का खजुराहों” के नाम से याद किया जाता है जो कि नागर शैली में बना है |

भंडदेवरा बारां

➖ बाराँ जिले में वर्तमान में – East – West कॉरिडोर के तहत (राष्ट्रीय राजमार्ग 27) स्थित बाराँ जिले के अटरू मार्ग पर स्थित चक्रधन्नी चौराहा यानी 8 की आकृति में बनाया गया जो किसी भूल – भुलैया से कम नहीं |

  • जिसका निर्माण कार्य – साल 2005 में शुरू होकर 2009 में पूर्ण हुआ |

➖ यह मार्ग , गुजरात , राजस्थान, मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश , बिहार , पश्चिम बंगाल व असम को जोड़ता है |

➖इस चौराहे का आकार – दिल्ली के धौलाकुआं सर्किल से मिलता – झूलता है |

चक्रधन्नी चौराहा

➖वर्तमान में wildlife institute of INDIA की और से भविष्य में चीेता बसाने के लिए शेरगढ़ को इको सेंसटिव जॉन बनाने की तैयारी राज्य सरकार ने शुरू कर दी है जबकि इस सेंचुरी की घोषणा 1983 में हो चुकी थी |

  • इसके बारे में कहा जा रहा है , कि यह स्थान टूरिज्म के लिए ख़ास होगा |

NOTE ➖
➖ हाल ही में ज़ारी रिपोर्ट के अनुसार , हाडौती का सबसे सघन , शाहबाद क्षेत्र जो कि जैव – विविधता से भरपूर कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया , जिसमे वन सम्पदा व वन्य जीव संरक्षित होंगे |

➖लगभग 19 हज़ार हैक्टेयर जंगल होगा संरक्षित , इसके लिए 2007 में ही प्रस्ताव भेज दिये गए थे |

➖ क्योंकि इसी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़ – पौधों की प्रजातिया हमें देखने को मिलती है |
जैसे – सालर , गुरजन , महुआ , बिल्बपत्र , अचार , बिन्यास , प्लास , खैर सहित , लगभग 802 प्रकार के पेड़ – पौधे मिलते है और इन्ही के बीच पेंथर की भी साइटिंग होती है |

➖ बाराँ जिले में स्थित ‘मस्जिद’ जो कि बारह भाइयों के नाम से प्रसिद्ध जिसे वर्तमान में ‘राजस्थान की सबसे बड़ी मस्जिद’ कहा जाता है , जिसका निर्माण कार्य 12 भाइयों ने मिलकर मुक़म्मल करवाया |

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