भाग- 19 “गुड़ की चाय” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

Sufi Ki Kalam Se

सूफ़ी की क़लम से…✍🏻

“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

भाग- 19 “गुड़ की चाय”

“चाय “ नाम अपने आपमें इतना बड़ा विषय है कि इस पर एक व्लॉग में तो क्या एक किताब में भी पूरा वर्णन नहीं आ सकता है । चाय भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में का सबसे ज़्यादा पिया जाने वाला पेय पदार्थ है । हालाँकि इस बात के सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि  किस वाली चाय का ट्रेंड सबसे ज़्यादा है क्यूंकि वक्त के साथ साथ चाय पीने वालो की संख्या बढ़ी जो तो बढ़ी,  साथ ही चाय के प्रकार भी अनेक से अनेक होते गए । सादा चाय से लेकर मसाला और ब्लैक टी से लेकर ना- ना प्रकार की चाय बाजार में उपलब्ध है ।

चूँकि हम इस अभियान में पुरानी चीजों के बारे में बात करते आ रहें है जिससे हमें फायदा होता आया हैं और उन्हें अब रिप्लेस कर दिया गया है । तो इस कड़ी में आज हम बात करेंगे गुड़ की चाय के बारे में । आपमें से कईयों को तो सुनकर अजीब लग रहा होगा कि भला गुड़ की भी चाय होती हैं क्या? जी हाँ,गुड़ की भी चाय होती हैं और स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि फायदेमंद भी होती हैं । पहले के लोग सर्दियों में गुड़ की चाय को खूब पसंद करते थे क्यूंकि गुड़ में आयरन, मिनरल्स और कई तरह के विटामिन होते हैं जो शरीर को गर्म रखने के साथ ही पाचन तंत्र भी बेहतर करता है । इसके अलावा ये बिना केमिकल वाली चीनी की जगह, गुड़ की प्राकृतिक मिठास वाली भी होती थी जिसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते हैं । संक्षेप में कहे तो पहले वाली गुड़ की चाय केवल थकान दूर करने वाली ही नहीं होती थी बल्कि एक औषधि का काम भी करती थी । इसलिए आपको सलाह दी जा रही है कि थोड़ा पीछे के दौर में लौटते हुए कभी गुड़ की चाय का भी आनंद लें ताकि बेहतरीन परिणाम वाली चाय के साथ आप यह भी जान पाएंगे की हमारे बुजुर्गों ने भी कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं । उस जमाने में ना वो इतने पढ़े लिखे थे और ना ही उन्हें कोई तकनीक आती थीं, फिर भी वो ऐसी चीजें ईजाद कर गए जो हम नहीं कर सके और उल्टा उन्हीं के दौर वाली चीजों को अपनाना पड़ रहा है । सोचो कितना महान काम कर गए होंगे वो लोग, वो भी बिना उच्च शिक्षा के दौर के, और दूसरी तरफ़  हम हैं जो हर घर में उच्च शिक्षित होते हुए भी जहरीली चाय के जाम पर जाम लगाएं जा रहे हैं । हालांकि अब जनता जागरूक होकर दूध शक्कर वाली चाय से आगे बढ़ाकर ग्रीन टी तक आ पहुँची हैं । ऐसे में अगर आप भी अपने आप को पुराने तरीक़े से अपडेट करते हुए दूध शक्कर के साथ गुड़ की चाय भी पीना शुरू करें तो आपको अच्छा महसूस होगा । जो गुड़ की चाय पहले बहुत साधारण मानी जाती थी वो आज के दौर में युवाओं का स्टार्टअप हो रही हैं । आप बड़े बड़े शहरों में , स्पेशल गुड़ की चाय के स्टॉल देख सकते हैं । इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहले की चीजें कितनी जरूरी थी जिन्हे हमने आधुनिकता के नाम पर यूहीं छोड़ दिया था । आइए, एक बार फिर कुछ क़दम पीछे चलें और गर्मागर्म गुड़ की देशी, स्वादिष्ट और पौष्टिक चाय की चुस्कियाँ लेते हुए पुराने लोगों का धन्यवाद करें । 

मिलते हैं अगले भाग में ।

आपका सूफी 

इस अभियान से संबंधित कोई पुराना अनुभव हो तो शेयर करें । अगर आपका अनुभव अच्छा लगा तो इस अभियान की पुस्तक में उस प्रतिक्रिया को प्रकाशित किया जाएगा ।(व्हाट्सएप 9636652786)


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3 thoughts on “भाग- 19 “गुड़ की चाय” “आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “  

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