नज़्म – वफ़ा के दीपक’ (गेस्ट पॉएट एजाज़ उल हक़ “शिहाब”)

(नज़्म – वफ़ा के दीपक) क़ीमती ख़ुशियों से मंसूब दिवाली आई,ले के कितने हसीं असलूब दिवाली…

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