अपनों के बिना रमजान बिता रहे सियासी क़ैदियों के परिजनों का इंसाफ के लिए संघर्ष जारी
CAA NRC के विरुद्ध चल रहे आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले कई युवाओं को साल भर पहले दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगे भड़काने का आरोप लगाकर, UAPA जैसे काले कानूनों का इस्तेमाल करते हुए जेल में डाल दिया था। उन सभी युवाओं को जेल में लगभग एक साल बीत गया है। और उनकी रिहाई की कोई सूरत नज़र नहीं आ रही है।
स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इंडिया (एस.आई.ओ) ने उन सभी राजनीतिक कैदियों के परिजनों के एहसासों को जानने के लिए उनके विचारों को सुनने के लिए एक ऑनलाइन कार्यक्रम ‘सब याद रखा जाएगा!’ के शीर्षक से आयोजित किया। इस आयोजन में एस.आई.ओ ऑफ़ इंडिया ने उमर खालिद, आसिफ इकबाल तन्हा ,मीरान हैदर ,खालिद सैफी ,सिद्दिक कप्पन , शरजील इमाम और अतहर के परिजनों को अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम में उमर खालिद के पिता क़ासिम रसूल इलियास ने अपनी बात रखते हुए कहा, “जब इस मुल्क के संविधान को लपेटकर रखने की कोशिश की जा रही थी उस वक्त मेरे बेटे सहित इन सभी नौजवानों ने फासीवाद को बढाने वाली कोशिशों से टक्कर लेने की कोशिश की है। मुझे गर्व है कि मेरा बेटा उमर खालिद उन युवाओं में से एक है जो संविधान को बचाने कि लडाई लड़ रहे हैं।हमारे घर में कोई मायूसी का शिकार नहीं है हम समझते हैं कि उमर एक महान काम करते हुए जेल गया है।”
इनके बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट लीडर आसिफ इकबाल की मां ने बोलते हुए कहा, “मुझे गर्व है आसिफ पर और उन सभी पर जो इस लडाई के चलते जेल गए हैं। आसिफ जब भी फोन करता है हंसते हुए बात करता है और हमें हौसला देता है।” आगे उनकी मां ने कहा कि उसके बिना रमज़ान बिताना थोड़ा फीका सा लगता है। आसिफ के पिता ने कहा, “इन काले कानूनों के खिलाफ कोई तो आवाज़ उठाता ही। जामिया के बच्चों ने इसमें पहल की,मेरा बेटा जेल में है लेकिन मेरे कई लोग मुझे फोन करके तसल्ली देते हैं वो भी मेरे ही बेटे हैं।”
इनके बाद प्रोग्राम में जामिया के पीएचडी स्कॉलर मीरान हैदर की बहन शमा परवीन ने कहा, “जिस वक्त उनको गिरफ्तार किया गया वो लाकडाउन से पीड़ित मजदूरों में रिलीफ का काम कर रहे थे आज भी वो बाहर होते तो कोरॉना से पीड़ित लोगों के लिए जुटे हुए होते।”
शरजील इमाम के भाई मुजम्मिल इमाम ने कहा, “मेरे भाई को जेल में रहते हुए भी उन लोगो कि फिक्र है जो अपने लिए न्याय की लडाई नहीं लड़ पा रहे हैं जो पैसों को किल्लत के कारण अपने वकील हायर नहीं कर पा रहे हैं।” शरजील के भाई कहते है की UAPA ऐसा चाबुक है जिसके बाद कोई अगला उठ खड़े होने की हिम्मत नहीं कर सकें।
यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH) एक्टिविस्ट खालिद सैफी की पत्नी नरगिस सैफी ने कहा, “‘खालिद के हौसले में अभी तक ज़र्रे बराबर भी कमी नहीं आयी है। उन्होंने अपने मुहल्ले में परेशान लोगों की मदद करते हुए सोशल सर्विस का कम शुरू किया था।” वो बताती है कि खूंरेजी थाने के पुलिस वालों ने उनके पति को पहले से टारगेट में लिया हुआ था और पुलिस ने उनपर गिरफ्तारी के दौरान अपना गुस्सा निकाला उनको इस तरह मारा पीटा गया की उनके दोनों पैर फैक्चर हो गए थे। अपने बच्चों के बारे में बात करते हुए नरगिस कहती है कि मेरे बच्चें अपने अब्बू को हीरो मानते है वो उनमें एक लाइव भगत सिंह देखते हैं’।
केरल के जर्नलिस्ट सिद्दीक कप्पन की पत्नी रेहाना ने बताया, “सिद्दीक ने कोई जुर्म नहीं किया वो सिर्फ हाथरस में हुई एक दलित लड़की की हत्या की रिपोर्टिंग करने गए थे लेकिन वहीं इनको गिरफ्तार कर लिया गया और परिवार को कोई खबर नहीं दी गई। वो बताती है कि उनके पति हाई लेवल शुगर के मरीज़ है लेकिन जेल में उनको किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जा रही है। उन्हे 6 महीने में सिर्फ 5 दिन कि बेल दी गई।
अंत में अतहर खान कि मां नूरजहां ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनका बेटा किसी संगठन से नहीं जुड़ा हुआ है फिर भी वो इन कानूनों का विरोध करने गया क्योंकि ये कानून गलत है। वो अतहर के बारे में बताते हुए कहती है कि वो स्कूल के बाद से ही सामाजिक कामों में हिस्सा लेता रहा है उसने निर्भया कांड वाले आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। “मेरा बेटा कई दिनों से वो ज़िन्दगी गुज़ार रहा है जिसका वो हकदार नहीं था। आज पहला रमज़ान है जब वो हमारे साथ नहीं है दो दिन पहले सातवें रमज़ान को उसका जन्मदिन था उस दिन उनको उसकी बड़ी याद आई। वो जेल में है मुझे इस बात पर अफसोस तो है लेकिन शर्मिंदगी नहीं है मुझे अपने बेटे पर गर्व है,” उन्हों ने कहा।
एस.आई.ओ ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद सलमान अहमद ने संबोधित करते हुए कहा, “जिस तरह एक व्यक्ति के ज़िंदा रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है उसी तरह से पूरे समाज को ज़िंदा रखने के लिए न्याय के स्थापना कि आवश्यकता होती है। आज ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले अगर हीरो है तो यह सब न्याय की लडाई लड़ने वाले इनसे बड़े हीरो है,यह सब विक्टिम नहीं हीरो हैं’।”
सौजन्य से -स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इंडिया
11 thoughts on “अपनों के बिना रमजान बिता रहे सियासी क़ैदियों के परिजनों ने सुनाया अपना दुःख”
Comments are closed.