इस्लाम के पैग़म्बर के बाद अब, हिन्दू देवी देवताओं पर शार्ली हैब्दो की विवादित टिप्पणी
सूफ़ी की कलम से….✍️
कुछ लोग हमेशा चर्चाओं में बने रहने के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हैं चाहे उनकी बात में कोई तर्क हो या ना हो। दूसरी बात यह है कि जो लोग, उनको चर्चाओं में बनाए रखते हैं वो एक दिन उन पर भी किसी ना किसी रूप में हमलावर हो ही जाते हैं।
शार्ली हैब्दो! नाम तो सुना ही होगा। जी हाँ, यहा वही फ्रांस की विवादित पत्रिका शार्ली हैब्दो है जिसने 2015 और 2020 मे इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स.अ.) पर विवादित कार्टून छाप कर सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश की थी और वह सस्ती और घटिया लोकप्रियता पाने मे सफल भी रहे थे क्योंकि दुनिया भर के गैर इस्लामिक धर्म के लोगों ने उनकी इस हरकत का विरोध करने की जगह उनका समर्थन किया था और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार बताया था।
फिर कुछ वक्त निकला तो इसी शार्ली हैब्दो ने फिर से अगले धर्म को निशाने पर ले लिया है, और इस बार उसके निशाने पर एक बहुत बड़ा धर्म, हिन्दू धर्म रहा है।
पूरी दुनिया कोरोना को लेकर परेशान हैं जिसमें से हमारा देश भारत भी एक है। भारत देश ने पिछले कुछ महिनों से वो मार झेली है जो कभी नहीं झेली। भारत की इन कठिन परिस्थितियों में दुनियाभर के ज्यादतर देश भारत की मदद को आगे आ रहे हैं और अपना मानव धर्म निभा रहे हैं लेकिन इन्हीं देशों में से कुछ एसे भी है जो इन विषम परिस्थितियों में साथ देने की जगह उपहास उड़ा रहे हैं वो भी धार्मिक आधार पर। इसके लिए केवल शार्ली हैब्दो पत्रिका ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि पूरा फ्रांस जिम्मेदार है क्योंकि वो इस पत्रिका का पूर्ण समर्थन करता है और उसी के समर्थन से ये पत्रिका आए दिन लोगों की धार्मिक भावना से खिलवाड़ करती है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से , भारत की नदीयों में लावारिस लाशें मिलने, आक्सीजन की कमी और कोरोना महामारी के कारण देश को काफी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा था । जिस पर फ्रांस की शार्ली हैब्दो को एक बार फिर से ज़हर उगलने का मोका मिल गया है और उसने वो लिख दिया जो किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता।
शार्ली हैब्दो ने लिखा है कि भारत में 33 मिलियन देवी देवता हैं जो मिलकर भी कोरोना को नहीं रोक पा रहे हैं और ही आक्सीजन का इंतजाम कर पा रहे हैं, साथ ही एक विवादित कार्टून भी प्रकाशित किया है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था पर सीधा हमला है। शार्ली हेब्दो नामक पत्रिका की यह हरकत ना सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं का अपमान है बल्कि यह सम्पूर्ण भारत देश का अपमान है। इस हरकत को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। अगर समय रहते ऐसी संस्थाओ पर नियंत्रण नहीं किया गया तो इनके घातक परिणाम लोगों को भुगतने पड़ सकते हैं। बिना सोचे समझे किसी भी चीज़ का समर्थन करने से पहले बात का गहनता से अध्ययन करना चाहिए। कुछ लोग एंटी मुस्लिम ऐक्टिविटी देखते ही तुरंत समर्थन में कूद पड़ते हैं तो कुछ लोग एंटी हिन्दू एक्टिविटी देखकर। प्रत्यक्ष न सही लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह हरकते भी देश की छवि खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आश्चर्य की बात है कि कुछ लोग अब भी शार्ली हैब्दो जैसी विवादित पत्रिका को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सही ठहरा रहे हैं। जो लोग इस हरकत पर शार्ली हेब्दो का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें ये भी सोचना चाहिए कि यह पत्रिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सिर्फ हिन्दू या मुस्लिमों की धार्मिक आस्था का ही क्यों उपहास उड़ाती है? क्या फ्रांस के लोग आस्तिक नहीं है? क्या उनका कोई धर्म नहीं है? क्या उन्होंने कभी अपने धर्म के बारे में कुछ लिखा?
तो क्या ऐसे में यह प्रश्न नहीं पूछना चाहिए कि तब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहाँ चली जाती हैं? क्या ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ हिन्दू, मुस्लिम या भारत के अपमान के लिए है?
– नासिर शाह (सूफ़ी)
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