यूपी में भाजपा की वापसी किसकी जीत है- भाजपा, मोदी या योगी?

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यूपी में भाजपा की वापसी किसकी जीत है- भाजपा, मोदी या योगी?
पढ़िए गेस्ट ब्लॉगर राजीव शर्मा प्रसिद्ध मारवाड़ी लेखक राजस्थान का लेटेस्ट ब्लॉग…

मुझे नहीं मालूम कि ऐसी तस्वीरों में कितनी सच्चाई थी। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि जनता भाजपा से भयंकर नाराज थी। कोरोना महामारी में रोजगार का नुकसान और बदतर हालात ने ज़िंदगी मुश्किल कर दी है। इससे जनता का नाराज होना स्वाभाविक था। किसान आंदोलन और उसके बाद पैदा हुए हालात ने नाराजगी को हवा दी, लेकिन जनता इतनी नाराज भी नहीं थी कि योगी को हटाकर अखिलेश यादव या बहनजी को ले आए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी की है। मैं इसे भाजपा से ज्यादा, मोदी और योगी की जीत मानता हूं। अगर भाजपा यह चुनाव हार जाती तो इन दोनों नेताओं के ‘करिश्मे’ पर सवाल उठते।

इस साल जब विधानसभा चुनावों का माहौल बनने लगा तो सोशल मीडिया में कई तस्वीरें वायरल हुई थीं, जिनमें यह दावा किया गया था कि भाजपा नेताओं से जनता भयंकर नाराज है, इसलिए वे यहां-वहां पीटे जा रहे हैं।

सीखे, तो हमने कुछ नहीं सीखा
आज सोशल मीडिया पर ‘बुद्धिजीवी’ इस आकलन में उलझे हुए हैं कि भाजपा ने किस बूते सत्ता में वापसी की। मैं इसकी कई वजह गिना सकता हूं। इसमें हिंदुत्व भी एक है। इसके साथ योगी की छवि काफी मायने रखती है। एक ओर जहां उनके विरोधी उन्हें सख्त नापसंद करते हैं, वहीं समर्थक उनके शासन में कई खामियों के बावजूद यह नहीं चाहते कि ‘महाराजजी’ हार जाएं।

योगी के घोर समर्थकों को अक्सर ‘भक्त’ कहा जाता है, लेकिन ऐसा कहने वाले यह भूल जाते हैं कि घोर समर्थक होना ‘भक्त’ होना ही है, फिर चाहे वह राहुल गांधी का ‘घोर’ समर्थक हो या फिर ‘ओवैसी’ का। सभी ‘भक्त’ हैं। घोर समर्थक को उसके नेता और नेतृत्व शैली में कमियां नहीं दिखतीं।
उत्तर प्रदेश में जिन लोगों ने इस बार योगी को वोट दिया, उनके दिमाग में कहीं न कहीं यह बात जरूर रही होगी कि वे सिर्फ उप्र का सीएम नहीं, भारत का भावी पीएम भी चुन रहे हैं। इस जीत के साथ भविष्य में योगी की दावेदारी और मजबूत हो जाएगी।

हालांकि उप्र में रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा, भ्रष्टाचारमुक्त शासन जैसे बुनियादी मुद्दों पर कितना ध्यान दिया जाएगा और इससे जनता के जीवनस्तर में कितना सुधार आएगा, मैं इसको लेकर बहुत आशावान नहीं हूं। चूंकि सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी की, स्थिति लगभग वही रहती है। हमारे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और जनता यहां भी इन्हीं समस्याओं से जूझ रही है।
आज विपक्ष ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह जनता को एक मजबूत विकल्प लगे। कांग्रेस, सपा और बसपा का करिश्मा बीते दिनों की बात लगती है। इनके पास ऐसी लीडरशिप नहीं कि जनता का भरोसा जीत सके। ये सिर्फ इस आस में बैठी लगती हैं कि कब जनता मोदी-योगी से उकता जाए और सत्ता इनकी झोली में आ गिरे।

लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब विपक्ष भी मजबूत हो। उसे जनहित के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाना चाहिए। विपक्ष के मौजूदा नेतृत्व को यह बात समझनी होगी कि अब आपको अपने पूर्वजों, वरिष्ठ नेताओं के नाम पर वोट नहीं मिलेंगे। निश्चित रूप से वे अपने ज़माने में बहुत बड़ा नाम थे, लेकिन देश उन्हें उनके परिश्रम का फल दे चुका है। आपको अब उनके नाम की वजह से ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए जनता से जुड़ें। उनकी समस्याएं समझें। खुद जनता बनकर देखें, तब आपको मालूम होगा कि देश में आम जनता होना कितना मुश्किल है।
– (गेस्ट ब्लॉगर राजीव शर्मा प्रसिद्ध मारवाड़ी लेखक राजस्थान)


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