सूफ़ी की क़लम से…✍🏻
“आओ चले..उल्टे क़दम, कुछ क़दम बीसवीं सदी की ओर “
भाग- 13 “ मिट्टी के बर्तन “
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पिछले भाग में देशी चूल्हा पसंद आया हो तो लगे हाथ ही मिट्टी के बर्तनों की बात भी कर लेते हैं । मिट्टी के बर्तनों के बारें में तो सब जानते हैं भले ही इस्तेमाल नहीं भी किया हो क्यूंकि प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों का चलन होता आ है। मिट्टी के बर्तन प्राकृतिक होते हैं और इसमें बनने वाले खाने में अलग ही जायका होता है जो स्वाद के साथ ही पौष्टिकता भी प्रदान करता है ।मिट्टी के बर्तनों की सबसे बड़ी कमी यह है कि उन्हें बहुत देखभाल की ज़रूरत होती है,थोड़ी सी लापरवाही से वह टूट जाते हैं और लापरवाही ना भी करें तो भी वह ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकते हैं और कमज़ोर हो जाते हैं । बस इन्ही परेशानियों के चलते, यह बर्तन हमारे रसोईघर से ग़ायब होते गए और इनकी जगह विभिन्न धातुओ से बने बर्तनों ने ले ली लेकिन वह कहते हैं ना कि जो काम की चीजे हैं उन्हें भुलाए नहीं भुला जा सकता है । आज फिर से लोग मिट्टी के बर्तनों की अहमियत समझते हुए उन्हें तवज्जो देने लगे हैं और जितना संभव हो सके उतना तो मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने लगे हैं जैसे देशी चूल्हे पर मिट्टी के तवे का प्रयोग काफ़ी अच्छा कॉम्बिनेशन होता है साथ ही मिट्टी के कप, गिलास,जग आदि कई चीजे आजकल लोगो को काफ़ी आकर्षित कर रही हैं और लोग फिर से देशी मिट्टी के बर्तनों से जुड़ने लगे हैं । हालाँकि देशी मिट्टी पर भी आजकल कई तरह के आधुनिक लेप लगाए जा रहे हैं जिन्हें सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है जो मिट्टी के वास्तविक स्वरूप के साथ खिलवाड़ है । अगर आप भी मिट्टी के बर्तनों की खरीददारी कर रहे हैं तो ये सुनिश्चित करें कि उस पर कोई हानिकारक लेप तो नहीं है ना? अगर हानिकारक लेप वाले बर्तन इस्तेमाल करते हैं तो उनका इतना आनंद नहीं आयेगा जो शुद्ध रूप से बनी मिट्टी का आता है । मिट्टी के बर्तनों में खाना धीमी आँच पर पकाया जाता है जिससे खाने के स्वाद और गुणवत्ता में निश्चित रूप से वृद्धि होती है और खाने के साथ साथ पानी भी इसी मिट्टी में रखा जाए तो पानी की गुणवत्ता में भी काफ़ी सुधार देखने को मिलता है । गर्मियों में तो मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल और लाभदायक हो जाता है क्यूँकि इनमें गर्मी सोखने की अच्छी क्षमता होती हैं । मिट्टी के बर्तन प्रयावरण के लिए भी उपयुक्त होते हैं । अगर आप चाय के शौक़ीन हैं तो गर्मागर्म चाय को कुल्हड़ में उँढेलकर अपने होंठों से लगाएं, यकीन जानिये चाय का इससे बेहतरीन जायका किसी और बर्तन में नहीं आ सकता है।
ध्यान रहे, आजकल मिट्टी के बर्तनों के बढ़ते चलन के चलते इनमे भी केमिकल लैप वाले मिट्टी के बर्तन बहुतायत में उपलब्ध हैं इसलिए कोशिश करें कि चमक वाले बर्तनों से दूर रहते हुए शुद्ध मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करें । चाय के कुल्हड़ हो या मिट्टी का तवा, जग हो या पीने का गिलास,हर बर्तन, लैप वाले वर्ज़न में बाजारों में उपलब्ध है इसलिए सावधान रहें और सही बर्तन चुनें ताकि सो फ़ीसदी परिणाम मिल सकें ।
अगर आपने कभी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं किया है तो एक बार अपने बुजुर्गों की विरासत को सहेजते हुए इनका उपयोग करें । आपको इनका स्वाद और सुगंध तो आकर्षित करेगी ही साथ ही आपको अपने देश की मिट्टी से जुड़ने का एक शानदार अहसास भी होगा ।
अगर आपने कभी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं किया है तो एक बार अपने बुजुर्गों की विरासत को सहेजते हुए इनका उपयोग करें । आपको इनका स्वाद और सुगंध तो आकर्षित करेगी ही साथ ही आपको अपने देश की मिट्टी से जुड़ने का एक शानदार अहसास भी होगा ।
मिलते हैं अगले भाग में ।
आपका सूफी
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